Rajouri Attacks Case 2023: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने सोमवार (26 फरवरी) को राजौरी हमलों में शामिल पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के 3 हैंडलर समेत 5 के खिलाफ चार्जशीट फाइल की है. पिछले साल 1 जनवरी को राजौरी के डांगरी गांव में आतंकी हमले और अगले दिन एलईडी ब्लास्ट में 2 बच्चों समेत 7 निर्दोष लोगों की मौत हो गई थी. इन हमलों में 14 लोग घायल भी हो गए थे.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, एनआईए का कहना है कि इस हमले में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के तीन हैंडलर सैफुल्ला उर्फ साजिद जट्ट उर्फ अली उर्फ हबीबुल्लाह उर्फ नुमान उर्फ लंगडा उर्फ नौमी, मोहम्मद कासिम और अबू-कतल उर्फ कतल-सिंधी की पहचान हुई थी. अबू-कतल और साजिद जट्ट पाकिस्तानी नागरिक है जबकि कासिम 2002 में पाकिस्तान से निकाल दिया गया था.
पाकिस्तान में बैठे आकाओं के आदेश पर किए गए थे हमले
पाकिस्तान से निष्कासित किए जाने के बाद कासिम लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हो गया था. ये सभी लश्कर-ए-तैयबा के हैंडलर पाकिस्तान से आतंकवादियों की घुसपैठ जम्मू कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए कर रहे थे. इसी दौरान अबू-कतल पूंछ राजौरी में सक्रिय हुआ था. यह हमले इन पाकिस्तान स्थित आकाओं के आदेश पर ही किए गए थे.
आतंकवादियों के साथ पुंछ-राजौरी में सक्रिय था आरोपी अबू कतल
मौजूदा समय में सैफुल्लाह लश्कर-ए-तैयबा का एक उच्च पदस्थ कमांडर है और अन्य दो के साथ मिलकर पाकिस्तान की ओर से पूरी साजिश रचने के लिए जिम्मेदार है. मोहम्मद कासिम भी वर्तमान में उच्च पदस्थ लश्कर कमांडरों का दाहिना हाथ है. वहीं, अबू कतल 2002-03 में भारत आया था और अन्य आतंकवादियों के साथ पुंछ-राजौरी रेंज में सक्रिय रहा.
गिरफ्तार दो आरोपी लश्कर के ओवरग्राउंड वर्कर
इसके अलावा एनआईए ने जिन अन्य दो आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है उसमें निसार अहमद उर्फ हाजी निसार, मुस्ताक हुसैन उर्फ चाचा शामिल हैं. वे दोनों पूंछ जिला के महेंद्र तहसील के गांव मोहरा गुरसाई के रहने वाले हैं. दोनों लश्कर के ओवरग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) हैं. इन दोनों को एनआईए ने जांच पड़ताल के दौरान गिरफ्तार किया था.
नाबालिग की मदद से आतंकियों को पहुंचायी जाती रही मदद
केंद्रीय एजेंसी एनआईए ने जांच दौरान के पाया था कि साजिद जट्ट चीफ कमांडर है और मुख्य साजिशकर्ता था जिसका मुख्य सहयोगी मोहम्मद कासिम रहा है. डांगरी गांव की घटना के 3 माह तक निसार अहमद और मुस्ताक हुसैन एक नाबालिग की मदद से आतंकवादियों के रहने, खाने पीने और अन्य दूसरी जरुरतों को पूरा करने और पहुंचाने का काम करते थे. एजेंसी ने कहा कि उन्होंने पाकिस्तान स्थित लश्कर कमांडरों के साथ गुप्त संचार के लिए इस्तेमाल किए गए मोबाइल फोन को नष्ट करके सबूत छिपाने का भी प्रयास किया था.
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