नई दिल्ली: राज्यसभा में लगातार तीसरे दिन विपक्ष का हंगामा जारी रहा. आज विपक्ष ने कृषि कानून और किसान आंदोलन के मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए सदन में जमकर नारेबाजी की, जिसके चलते सदन की कार्यवाही कई बार बाधित हुई और स्थगित करनी पड़ी.
कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने राज्यसभा में तीनों कृषि कानूनों और किसान आंदोलन के मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए कहा कि किसान दिल्ली की सीमा पर पिछले 104 दिनों से बैठे हैं जबकि सरकार उनकी सुध नहीं ले रही. इस सबके बीच करीबन 300 किसानों की मौत हो चुकी है, लिहाजा इस मुद्दे पर सदन में चर्चा होनी चाहिए. सरकार को इन तीनों के कानूनों को वापस लेना चाहिए.
इस दौरान विपक्षी नेताओं ने सरकार और कृषि कानूनों को लेकर जमकर नारेबाजी भी की. विपक्षी नेताओं का कहना था कि तीनों कृषि कानून किसान विरोधी है और इन को रद्द किया जाना चाहिए. इसके साथ ही विपक्ष लगातार नारेबाजी कर रहा था कि जब किसान जिनके लिए ये कृषि कानून बनाए गए हैं उनको यह कानून नहीं चाहिए तो आखिर उन पर जबरन क्यों थोपे जा रहे हैं?
विपक्ष के द्वारा उठाई गई इस मांग पर राज्यसभा के चेयरमैन ने साफ तौर पर कहा कि वैसे तो कृषि कानून और किसान आंदोलन के मुद्दे पर बजट सत्र के पहले हिस्से में कई घंटे तक चर्चा हो चुकी है, लेकिन अगर अभी भी विपक्षी दल इस मुद्दे पर चर्चा करना चाहते हैं तो आने वाले दिनों में कृषि मंत्रालय से जुड़ा जब कोई मामला सदन में आएगा तो उस दौरान इस पर चर्चा हो सकती है. लेकिन फिलहाल इस तरह से हंगामा कर सदन की कार्यवाही बाधित ना की जाए. क्योंकि सदन की कार्यवाही बाधित होने से जनता से जुड़े हुए मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पाती.
हालांकि, विपक्षी नेताओं का साफ तौर पर यही कहना है कि उनकी मांग किसानों के हित में है क्योंकि किसान पिछले 104 दिनों से दिन रात, सर्दी गर्मी सड़कों पर बैठे हुए हैं. हालात ये हैं कि अब तो सरकार उनसे बातचीत तक नहीं कर रही तो ऐसे में यह गतिरोध खत्म कैसे होगा.
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