नई दिल्ली: राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश खुद के साथ हुए व्यवहार से दुखी हैं. अब उन्होंने 24 घंटे का उपवास रखा है. उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को लिखे खत में उन्होंने कहा कि शायद उनके इस उपवास से सदन में इस तरह के आचरण करने वाले माननीय सदस्यों के अंदर आत्मशुद्धि का भाव जगे.


अपने खत में उन्होंने कहा, “सदन के माननीय सदस्यों द्वारा लोकतंत्र के नाम पर हिंसक व्यवहार हुआ. आसन पर बैठे व्यक्ति को भयभीत करने की कोशिश हुई. उच्च सदन की हर मर्यादा और व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई गईं. सदन के माननीय सदस्यों ने नियम पुस्तिका फाड़ी. मेरे ऊपर फेंका. सदन के जिस ऐतिहासक टेबल पर बैठकर सदन के अधिकारी, सदन की महान परंपराओं को शुरू से आगे बढ़ाने में मूक नायक की भूमिका अदा करते हैं, उनकी टेबल पर चढ़कर सदन के महत्वपूर्ण कागजात-दस्तावेजों को पलटने, फेंकने व फाड़ने की घटनाएं हुईं. नीचे से कागज के रोल बनाकर आसन पर फेंके गए. नितांत आक्रामक व्यवहार. भद्दे और असंसदीय नारे लगे. हृदय औऱ मानस को बेचैन करने वाला लोकतंत्र के चीरहरण का दृश्य पूरी रात मेरे मस्तिष्क में छाया रहा. सो नहीं सका.”


लंबे खत में उन्होंने कहा कि माननीय सदस्यों के अंदर आत्मशुद्धी का भाव जगे, उपवास की भावना इसे से प्रेरित है. उन्होंने कहा कि कल 23 सितंबर राष्ट्रकवि दिनकर की जन्मतिथि है जो इस सदन के दो बार सदस्य रहे. उन्होंने कहा, “आज 22 सितंबर से कल 23 सितंबर की सुबह तक 24 घंटे का उपवास पर रहूंगा. काम काज की गति न रूके इसलिए उपवास के दौरान भी राज्यसभा के काम काज में नियमित और सामान्य रूप से भाग लूंगा.”


वहीं निलंबित किए गए आठ राज्सभा सांसदों के लिए हरिवंश चाय और नाश्ता लेकर खुद पहुंचे.  लेकिन वैचारिक लड़ाई की मर्यादा और नीति के तहत चाय के ऑफर ठुकरा दिया गया. लेकिन ये घटना लोकतंत्र की खूबसूरती को जमकर बयां कर गया.