नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने कहा है कि वह जनता के बीच जागरुकता अभियान चलाएगी की ताकि वे पहचान कर सके कौन फेक न्यूज़ है. इस पर लेफ्ट के नेता डी राजा ने कहा कि एक बड़े राजनितिक पार्टी ने बैठक की, जिसमें कहा गया कि यह मीटिंग सोशल मीडिया वारियर्स की है. मैं पूछना चाहता हूं ये वारियर्स क्यों, यही परेशानी की जड़ है.


वहीं आरजेडी नेता मनोज झा ने राज्यसभा में कहा है कि क्या मॉब लिंचिंग पर कभी इस सदन में चर्चा हुई है. उन्होंने कहा कि मॉब लिंचिंग रोजमर्रा का सवाल हो गया है. भाषाई हिंसा पर लगाम नहीं लगी तो वह व्यवहारिक हिंसा में तब्दील हो जाएगी.


मनोज झा ने कहा, ''ट्रोलिंग शब्द मुझे चार साल पहले तक पता नहीं था. अब तो मंत्री तक ट्रोल हो रहे हैं. वहीं कांग्रेस नेता गुलाब नबी आजाद ने कहा कि ये शर्म की बात है भारत जैसे सभ्य देश में एसी घटना हो रही है. उन्होंने कहा कि 13 राज्य में 40 लोगों की हत्या फेक न्यूज़ के चलते हुई है. मेरे लिए शर्म की बात है कि लिंच करने वालों से जेल में मिलने वाले संसद में है. लिंचिंग को लेकर पकड़े गए आदमी जब छूट जाते हैं तो केंद्रीय मंत्री उन्हें माला पहनते है. उनका इशारा बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह और जयंत सिन्हा पर था.


बता दें कि लिंचिंग की घटनाओं के बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा भी चिंता जाहिर कर चुके हैं. उन्होंने कहा था कि लिंचिंग की घटनाएं सोशल मीडिया पर अफवाह की वजह से बढ़ी हैं. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था, ''हाल के दिनों में मॉब लिंचिंग की घटनाओं में इजाफा हुआ है. सोशल मीडिया पर वायरल टेक्स्ट के कारण मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ी हैं. कई मामलों में यह भीड़तंत्र में बदल जाता है और कुछ मामलों में जान तक चली जाती है. समाज में शांति व्यवस्था कायम रहे इसके लिए उनके पास जो टेक्स्ट आते हैं उनकी जांच उन्हें खुद करनी चाहिए.'' चीफ जस्टिस ने अपील की थी कि अगर आप कोई कोई आपत्तिजनक संदेश अपने सोशल पेज पर देखते हैं तो उसे तुरंत डिलीट कर दें, उसे आगे ना बढ़ने दें.