Rajya Sabha Election 2022: राजनीति और वोट का गणित जो ना कराए वो कम है. राजस्थान (Rajasthan) में राज्यसभा चुनाव से पहले ये कहावत बिल्कुल सटीक साबित हो रही है. प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार को राज्यसभा चुनाव में अपने तीनों उम्मीदवारों को जितवाना है इसलिए मतदाताओं को खुश करने के लिए तबादलों पर लगी रोक को तत्काल हटा लिया गया है.
आप सोच रहे होंगे कि तबादलों पर रोक हटने से मतदाता खुश क्यों होने लगे? दरअसल, राज्यसभा (Rajya Sabha) के मतदाता राजस्थान के विधायक हैं और अब इनको खुश करके ही कांग्रेस अपने तीनों प्रत्याशियों को जीत का हार पहना सकेगी.
अब विधायकों के पास क़रीब 10 दिन का वक्त होगा कि वो 10 जून को होने वाले मतदान से पहले अपनी पसंद के मुताबिक़ अधिकारी और कर्मचारी अपने इलाक़ों या पसंद की जगह पर लगवा सकेंगे. देखा जाता है कि अधिकांश विधायक अक्सर अपनी पसंद का थानेदार, स्कूल टीचर और डाक्टर इत्यादि लगवाने के लिए ज़्यादातर वक्त मंत्रियों के दरबार में चक्कर काटते रहते है.
ऐसे में मंत्रियों का विधायकों को टका से जवाब मिलता था कि अभी तबादलों पर रोक है और जब रोक हटेगी तो देखेंगे. अब राज्यसभा के चुनाव आए तो पार्टी और सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों को भी सरकार और मंत्रियों को आईना दिखाने का पूरा मौक़ा मिल गया. कई विधायकों ने सीधे सीधे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) से शिकायत कर डाली कि उनके तो कोई काम ही नहीं होते. गहलोत ने भी मौक़े की नज़ाकत को भांप लिया और समझ गए कि अगर विधायकों के वोट लेने है तो उनके काम भी करने पड़ेंगे.
बस फिर क्या था राज्य के प्रशासनिक सुधार विभाग ने फ़ौरन आदेश जारी कर डाला कि तबादलों पर रोक तत्काल प्रभाव से हटाई जाती है. इस बार के आदेश की ख़ास बात ये है कि तबादलों पर रोक फिर कब लागू होगी इसकी तारीख़ का हवाला आदेश में नहीं किया गया. इसके पहले ऐसे आदेश में रोक कब तक के लिए हटी है इसका ज़िक्र हमेशा होता रहा है. अब ये तो तय है कि राज्यसभा चुनाव तक तो रोक हटी ही रहेगी.
वैसे तबादलों को सरकारी बोलचाल में तबादला उद्योग भी कहा जाता है क्योंकि इसके ज़रिए कमाई भी खूब होती है. अब किसी की कमाई हो या किसी की वाहवाही ये तो सरकार जाने लेकिन कुल मिलाकर माननीय खुश तो बहुत होंगे. माननीय खुश तो सरकार खुश कि वोट पक्के. इन सब के साथ उनकी ख़ुशी भी दोगुनी हो जाएगी जो साम दाम दंड भेद ही सही मनमाफ़िक़ जगह या मलाईदार सीट तक पहुंच जाएंगे. दस जून तक तो मंत्रियों के सरकारी बंगलों और दफ़्तरों में तबादले के इच्छुक लोंगों का मेला भी खूब जुटेगा.