Rajya Sabha Election: चार राज्यों में राज्यसभा की 16 सीटों पर वोटिंग, जानिए क्या है राजनीतिक दलों का गणित?
Rajya Sabha Election 2022: राज्यसभा चुनाव के लिए आज मतदान हो रहा है. कई सीटों पर पेंच फंस गया है. वहीं खरीद-फरोख्त की आशंकाओं के बीच विभिन्न दलों ने अपने विधायकों को होटल और रिसॉर्ट में रखा है.
Rajya Sabha Election 2022: ‘खरीद-फरोख्त’ के आरोप-प्रत्यारोपों के बीच चार राज्यों की 16 राज्यसभा सीट (Rajya Sabha Election) पर आज मतदान हो रहा है. राज्यसभा की 57 सीटों में से 41 सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन पहले ही हो चुका है. इसी के मद्देनजर कांग्रेस और बीजेपी ने अपने विधायकों (MLA) को होटल और रिसॉर्ट (Resort) में रखे हैं. इन चुनावों में जिन उम्मीदवारों के चुनावी भाग्य का फैसला किया जाएगा, उनमें केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और पीयूष गोयल, कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला, जयराम रमेश और मुकुल वासनिक व शिवसेना नेता संजय राउत प्रमुख हैं. इन सभी नेताओं के बिना किसी परेशानी के जीतने की उम्मीद है.
हाल ही में 57 राज्यसभा सीट के लिए द्विवार्षिक चुनावों की घोषणा की गई थी और उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, पंजाब, तेलंगाना, झारखंड और उत्तराखंड में सभी 41 उम्मीदवारों को पिछले शुक्रवार को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया था. हालांकि, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र और कर्नाटक की 16 सीट के लिए शुक्रवार को चुनाव होंगे, क्योंकि उम्मीदवारों की संख्या चुनाव वाली सीट से अधिक है.
महाराष्ट्र में क्या बन रहे समीकरण?
महाराष्ट्र (Maharashtra) में छह सीट के लिए मतदान होना है और विभिन्न राजनीतिक दल बृहस्पतिवार को अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में व्यस्त रहे. दो दशक से अधिक समय के बाद, महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव होगा, क्योंकि छह सीट के लिए सात उम्मीदवार मैदान में हैं. सत्तारूढ़ एमवीए के सहयोगियों- शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस- ने अपने विधायकों को मुंबई के विभिन्न होटलों और रिसॉर्ट में रखा है. सत्तारूढ़ गठबंधन के सूत्रों ने बताया कि वे मतदान शुरू होने से ठीक पहले राज्य विधानसभा के लिए रवाना होंगे. राकांपा प्रमुख शरद पवार, कांग्रेस महासचिव मल्लिकार्जुन खड़गे और भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए मुंबई में अपने-अपने दलों के नेताओं के साथ बातचीत की. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अनिल बोंडे, धनंजय महादिक (भाजपा), प्रफुल्ल पटेल (राकांपा), संजय राउत और संजय पवार (शिवसेना) और इमरान प्रतापगढ़ी (कांग्रेस) छह सीट के लिए चुनाव मैदान में हैं. छठी सीट पर मुकाबला महादिक और शिवसेना के पवार के बीच है.
किसके पास हैं कितनी वोट?
शिवसेना के 55 विधायक, राकांपा के 53, कांग्रेस के 44, भाजपा के 106, बहुजन विकास आघाड़ी (बीवीए) के तीन, समाजवादी पार्टी, एआईएमआईएम और प्रहार जनशक्ति पार्टी के दो-दो, मनसे, माकपा, पीडब्ल्यूपी, स्वाभिमानी पार्टी, राष्ट्रीय समाज पक्ष, जनसुराज्य शक्ति पार्टी, क्रांतिकारी शेतकारी पार्टी के एक-एक, और 13 निर्दलीय विधायक हैं. एमवीए के सहयोगी और भाजपा दोनों ही छोटी पार्टियों और निर्दलीय विधायकों के 25 अतिरिक्त वोटों पर भरोसा कर रहे हैं, ताकि उनके उम्मीदवार छठी सीट के लिए जीत हासिल कर सकें.
हरियाणा में भी दिलचस्प हुआ मुकाबला
हरियाणा (Haryana) में दो सीट के लिए मतदान होगा और इस बीच सत्तारूढ़ भाजपा और उसके कुछ सहयोगी जजपा के विधायकों को दूसरे दिन चंडीगढ़ के पास एक रिसॉर्ट में रखा गया. खरीद-फरोख्त की आशंका के बीच कांग्रेस विधायक भी छत्तीसगढ़ के एक रिसॉर्ट में ठहरे हैं. प्रतिद्वंद्वी दलों द्वारा खरीद-फरोख्त के बढ़ते खतरे के बारे में पूछे जाने पर, मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने नयी दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने सभी चार स्थानों (राज्यों) में विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं. पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाएगी.’’
कौन-कौन है मैदान में, क्या बन रहे समीकरण?
90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में 40 विधायकों वाली भाजपा के पास सीधी जीत के लिए आवश्यक 31 प्रथम वरीयता के वोटों से नौ अधिक हैं. लेकिन मीडिया क्षेत्र से जुड़े कार्तिकेय शर्मा के मैदान में उतरने के साथ ही दूसरी सीट के लिए चुनाव दिलचस्प हो गया है. उन्हें भाजपा-जजपा गठबंधन, अधिकांश निर्दलीय और हरियाणा लोकहित पार्टी के एकमात्र विधायक गोपाल कांडा का समर्थन प्राप्त है. भाजपा ने पूर्व मंत्री कृष्ण लाल पंवार को मैदान में उतारा है, जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. राज्य विधानसभा में कांग्रेस के 31 सदस्य हैं, जो उसके उम्मीदवार को एक सीट जीतने में मदद करने के लिए पर्याप्त हैं. क्रॉस वोटिंग की स्थिति में इसकी संभावनाएं खतरे में पड़ सकती हैं. हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत भजन लाल के छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई कथित तौर पर पार्टी से नाराज हैं, क्योंकि उन्हें अप्रैल में नवगठित राज्य कांग्रेस इकाई में कोई पद नहीं मिला था. नब्बे-सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में, भाजपा के पास 40 विधायक हैं जबकि कांग्रेस के पास 31 हैं. भाजपा की सहयोगी जेजेपी के पास 10 विधायक हैं, जबकि इंडियन नेशनल लोक दल और हरियाणा लोकहित पार्टी के पास एक-एक विधायक हैं. सात निर्दलीय हैं.
कर्नाटक में भी फंसा है पेंच
वहीं कर्नाटक (Karnataka) में मुख्य विपक्षी कांग्रेस और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की जद (एस) चौथी सीट पर चुनावी जंग लड़ रही है. लेकिन यदि उनमें से एक ने दूसरे का समर्थन किया तो एक की जीत सुनिश्चित हो सकती है. चार सीट के लिए कुल मिलाकर छह उम्मीदवार मैदान में हैं, जिससे चौथी के लिए कड़ी टक्कर नजर आ रही है. संख्या नहीं होने के बावजूद, भाजपा, कांग्रेस और जद (एस) ने इस सीट के लिए उम्मीदवार खड़े किए हैं, जिससे चुनाव के लिए मजबूर होना पड़ा है. एक उम्मीदवार को एक आसान जीत के लिए 45 प्रथम वरीयता वोटों की आवश्यकता होती है, और विधानसभा में अपनी ताकत के आधार पर, भाजपा दो और कांग्रेस एक सीट जीत सकती है.
कौन-कौन है उम्मीदवार?
चुनाव मैदान में छह उम्मीदवारों में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, अभिनेता-नेता जग्गेश और भाजपा के निवर्तमान एमएलसी लहर सिंह सिरोया, पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश और कांग्रेस के राज्य महासचिव मंसूर अली खान और जद (एस) के पूर्व सांसद डी कुपेंद्र रेड्डी हैं. दो राज्यसभा उम्मीदवारों (सीतारमण और जग्गेश) को अपने दम पर निर्वाचित कराने के बाद, भाजपा के पास अतिरिक्त 32 वोट बचे रहेंगे. पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश को विजयी बनाने के बाद कांग्रेस के पास 24 अतिरिक्त वोट बचेंगे. जद (एस) के पास केवल 32 विधायक हैं, जो एक सीट जीतने के लिए पर्याप्त नहीं है.
चुनाव से एक दिन पहले, कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया ने जद (एस) के विधायकों को एक खुला पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने अपनी पार्टी के दूसरे उम्मीदवार मंसूर अली खान के पक्ष में ‘अंतररात्मा की आवाज पर मतदान’ करने का अनुरोध किया. जद (एस) नेता एचडी कुमारस्वामी ने उनकी पार्टी के विधायकों को पत्र लिखने के लिए सिद्धरमैया पर निशाना साधा. कुमारस्वामी ने कहा कि अगर उन्होंने नामांकन पत्र दाखिल करने से पहले हमारी पार्टी के नेताओं के साथ इस पर चर्चा की होती तो ऐसी जटिलताएं पैदा नहीं होतीं. उन्होंने अल्पसंख्यक उम्मीदवारों के समर्थन के बारे में लिखा है, तो कांग्रेस ने जयराम रमेश के बजाय मंसूर अली खान को अपना पहला उम्मीदवार क्यों नहीं बनाया.
राजस्थान में भी कड़ा हुआ मुकाबला
इस बीच, राजस्थान (Rajasthan) में कांग्रेस के विधायक और पार्टी का समर्थन करने वाले निर्दलीय विधायक बृहस्पतिवार को उदयपुर से जयपुर पहुंचे. उन्हें खरीद-फरोख्त की आशंका के बीच वहां एक रिसॉर्ट में ठहराया गया था. अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर पहुंचने के बाद विधायकों को बस में जयपुर-नई दिल्ली हाईवे स्थित लीला होटल ले जाया गया. उन्हें शुक्रवार को वहां से सीधे राज्य विधानसभा ले जाया जाएगा. राजस्थान में राज्यसभा की चार सीट के लिए मतदान होना है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कांग्रेस तीन सीट जीतेगी. उन्होंने कहा, ‘‘हमारा परिवार एकजुट है और हम तीनों सीट जीतने जा रहे हैं.’’
कांग्रेस ने मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला और प्रमोद तिवारी को मैदान में उतारा है, जबकि भाजपा ने पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी को चुना है, जो पहले राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के मुखर आलोचक थे.
कांग्रेस और भाजपा आराम से क्रमश: दो और एक सीट जीतेगी. मीडिया कारोबारी सुभाष चंद्रा ने भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. खरीद-फरोख्त के आरोपों के बीच चंद्रा ने मंगलवार को यह दावा करते हुए सत्तारूढ़ कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी कि आठ विधायक उनके पक्ष में क्रॉस वोट करेंगे और उनकी जीत होगी.
किसके पास हैं कितनी वोट?
दो सौ-सदस्यीय राज्य विधानसभा (Rajasthan Assembly) में वर्तमान में कांग्रेस (Congress) के 108 विधायक हैं और तीन सीट जीतने के लिए 123 मतों की जरूरत है. दो विधायकों वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने कांग्रेस को समर्थन दिया है. कांग्रेस 13 निर्दलीय और राष्ट्रीय लोक दल के एक विधायक के समर्थन का भी दावा कर रही है, जो वर्तमान में राज्य मंत्री हैं. वहीं, भाजपा (BJP) के पास 71 विधायक हैं. अपने पार्टी प्रत्याशी की जीत के बाद भाजपा के पास 30 अतिरिक्त वोट बचे रहेंगे, जो सुभाष चंद्रा के साथ जाएगा. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के तीन विधायकों ने भी चंद्रा को समर्थन दिया है. चंद्रा को जीत के लिए आठ और विधायकों की जरूरत है.
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