Rajya Sabha Election Result Haryana: हरियाणा के राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Election) में कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन बीजेपी–जेजेपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा से हार गए. नाराज चल रहे कांग्रेस विधायक कुलदीप बिश्नोई (Kuldeep Bishnoi) की क्रॉस वोटिंग और इसके बाद एक अन्य पार्टी विधायक का वोट रद्द होने से माकन पिछड़ गए वरना कांग्रेस (Congress) के पास राज्यसभा की सीट जीतने के लिए विधायकों की पर्याप्त संख्या थी. अजय माकन (Ajay Makan) ने चुनाव नतीजे को अदालत में चुनौती देने की बात कही है, लेकिन आपको बताते हैं कि माकन किन वजहों से हारे. माकन की हार की पटकथा कुलदीप बिश्नोई ने लिखी. संगठन में कथित उपेक्षा की वजह से कुलदीप बिश्नोई पहले से बगावत के मूड में नजर आ रहे थे.
अपनी शिकायतों को लेकर बिश्नोई, राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से मिलना चाहते थे, लेकिन सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस आलाकमान की तरफ से बिश्नोई को संदेश दिया गया कि पहले राज्यसभा चुनाव में पार्टी के पक्ष में वोट डालें, इसके बाद मुलाकात होगी. दूसरी तरफ कांग्रेस नेताओं की तरफ से दावा किया गया कि बिश्नोई को मना लिया गया है, लेकिन आखिरकार बिश्नोई ने क्रॉस वोटिंग की यानी अजय माकन की बजाय कार्तिकेय शर्मा को वोट दिया. जाहिर है इसके बाद अब कांग्रेस में अब बिश्नोई के लिए जगह नहीं बची, लेकिन यदि समय रहते कांग्रेस नेतृत्व बिश्नोई को मिलने का वक्त दे देता तो शायद राज्यसभा की सीट बच जाती. हालांकि इसको लेकर पूछे जाने पर अजय माकन ने कहा कि राहुल गांधी मिल लेते तो भी बिश्नोई वोट नहीं देते, क्योंकि उनपर भय और प्रलोभन का असर था.
क्रॉस वोटिंग ने ऐसे बिगाड़ा खेल
बिश्नोई की क्रॉस वोटिंग के बावजूद कांग्रेस के पास 30 विधायकों के वोट बचे थे. अगर ये सभी वोट माकन को मिल जाते तो उनकी जीत पर मुहर लग जाती, लेकिन कांग्रेस के एक विधायक का वोट रद्द हो गया. बताया जा रहा है कि मतपत्र पर नियमानुसार अंक लिखने की बजाय जानबूझकर टिक (सही का निशान) लगाया गया ताकि वोट रद्द हो जाए. हुड्डा कैंप के सूत्रों के मुताबिक ऐसा किरण चौधरी ने किया हालांकि किरण चौधरी के नजदीकी सूत्र इस बात से इंकार कर रहे हैं. अजय माकन ने दावा किया कि कांग्रेस के सभी 30 वोट सही थे और उन्हें हरवाने के लिए चुनाव अधिकारी ने एक वोट रद्द करवाया. बहरहाल देर रात मतगणना के दौरान जैसे ही कांग्रेस का एक वोट रद्द हुआ माकन 29 पर फंस गए और दूसरी वरीयता के वोटों के आधार पर कार्तिकेय शर्मा जीत गए.
अंदरूनी राजनीति का शिकार हुए माकन
माकन हरियाणा कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति का शिकार हो गए. उन्हें भूपेंद्र सिंह हुड्डा का साथ मिला, लेकिन हुड्डा विरोधी दो नेताओं ने उनका रास्ता रोक दिया. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने खुद को मिलाकर पार्टी के 29 विधायकों को एकजुट रखा. एक हफ्ते तक 28 विधायकों को रायपुर में रखा गया, लेकिन हुड्डा विरोधी खेमे के बिश्नोई और किरण चौधरी इससे दूर रहे और आखिर में कांग्रेस की कमजोर कड़ी साबित हुए. दिलचस्प बात यह भी है कि कार्तिकेय शर्मा के पिता विनोद शर्मा हुड्डा के करीबी लोगों में शामिल हैं. बिश्नोई की बगावत के आसार के बावजूद हुड्डा एक भी निर्दलीय विधायक को अजय माकन के पक्ष में वोट करने के लिए तैयार नहीं कर पाए.
चक्रव्यूह भेद नहीं पाए माकन
दूसरी तरफ हरियाणा की बीजेपी–जेजेपी सरकार ने राज्यसभा की दोनों सीटें जीतने के लिए सारे पैंतरे अपनाए. अंदर और बाहर के दोतरफा चक्रव्यूह को माकन भेद नहीं पाए. हरियाणा में एक बार फिर 2016 राज्यसभा चुनाव की कहानी दुहराई गई जब कांग्रेस उम्मीदवार आरके आनंद निर्दलीय सुभाष चंद्रा से हार गए थे. इसी आशंका से इस बार राजीव शुक्ला और प्रमोद तिवारी ने हरियाणा से राज्यसभा चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था. दोनों नेता अपनी राजनीतिक सुझबुझ से छत्तीसगढ़ और राजस्थान से चुन कर राज्यसभा पहुंच गए जबकि माकन को निराश होना पड़ा. माकन के हार की एक वजह कांग्रेस में शीर्ष स्तर पर अहमद पटेल जैसे संकटमोचक की कमी भी है. अगर अहमद पटेल होते तो शायद वो बिश्नोई को साधने में कामयाब हो सकते थे.
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