नई दिल्ली: राज्यसभा के सीटों का मुद्दा कांग्रेस के लिए एक तूफान बनकर आया जिसमें मध्यप्रदेश के नेता और राहुल गांधी के दोस्त ज्योतिरादित्य सिंधिया तक बह गए लेकिन यह तूफ़ान यही तक नहीं रुका. हरियाणा में कांग्रेस को एक राज्यसभा सीट मिलनी थी जहां पार्टी की अध्यक्ष कुमारी शैलजा का नाम लगभग तय माना जा रहा था. लेकिन हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने अपने समर्थक विधायकों का शक्ति प्रदर्शन किया. बाद मेंआलाकमान को साफ साफ कह दिया कि अगर कुमारी शैलजा को राज्यसभा भेजना है तो उनके बेटे दीपेन्द्र हुड्डा को हरियाणा कांग्रेसका अध्यक्ष बनाया जाए.
इतना ही नहीं भूपेंद्र हुड्डा ने आलाकमान को यह भी कह दिया कि रणदीप सुरजेवाला को किसी भी राज्य से राज्यसभा का उम्मीदवार न बनाया जाए. आख़िर में हुआ भी वैसा ही. रणदीप सुरजेवाला और कुमारी शैलजा को कांग्रेस ने राज्यसभा को उम्मीदवार नहीं बनाया और दीपेंद्र हुड्डा को हरियाणा से कांग्रेस राज्य सभा भेज रही है.
गुजरात कांग्रेस में भी राज्यसभा को लेकर सभी विधायक गुटों में बंट गए. दिल्ली आलाकमान ने राजीव शुक्ला का नाम तय किया था लेकिन विधायकों ने कहा कि भरत सिंह सोलंकी और शक्ति सिंह गोहिल के नाम पर हम सहमत हैं. अगर किसी बाहर के व्यक्ति को भेजा गया तो विधायक वोट नहीं डालेंगे. आखिर में भरत सिंह सोलंकी और शक्ति सिंह गोहिल को कांग्रेस ने गुजरात से राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कांग्रेस आलाकमान को छत्तीसगढ़ से राज्यसभा भेजने के लिए अधिकृत किया था. छत्तीसगढ़ से कांग्रेस ने केटीएस तुलसी और फूलो देवी नेताम को राज्यसभा भेजा है. मध्य प्रदेश से कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह और फूल सिंह बरैया को टिकट दिया है. मेघालय से केनेडी कॉर्नेलियस खेम, झारखंड से शहजादा अनवर को उम्मीदवार बनाया.
महाराष्ट्र से मुकुल वासनिक राजीव सातव और रजनी पाटिल तीन लोग राज्यसभा की सीट मांग रहे थे लेकिन कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी चाहते थे कि राजीव सातव को महाराष्ट्र से उम्मीदवार बनाया जाए. हुआ भी वही. कांग्रेस ने राजीव सातव को महाराष्ट्र से राजीव सातव को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया है.