राज्यसभा में धक्कामुक्की का मामला | घटना की जांच के लिए स्पेशल कमेटी का एलान संभव, 6 से 12 सदस्य होंगे
विपक्षी नेताओं ने यह दावा किया कि कुछ महिला सांसदों समेत सदन के कई सदस्यों के साथ ऐसे बाहरी लोगों ने धक्कामुक्की की, जबकि राज्यसभा सचिवालय ने कहा है कि सुरक्षाकर्मियों में कोई बाहरी नहीं था.
नई दिल्ली: राज्यसभा में 11 अगस्त को विपक्षी सदस्यों ने आसन के समक्ष आकर जमकर हंगामा किया और कागज फाड़कर उछाले. कुछ सदस्य आसन की ओर बढ़ने का प्रयास करते हुए सुरक्षाकर्मियों से भी उलझ गए. इस दौरान धक्कामुक्की और महिला सुरक्षा अधिकारी के साथ बदसलूकी भी हुई. अब सूत्रों से खबर मिली है कि एक हफ्ते के भीतर इस घटना की जांच के लिए कमेटी का ऐलान होगा. जांच के लिए स्पेशल कमेटी गठित की जाएगी जिसमें 6 से 12 सदस्य हो सकते हैं. एथिक्स कमेटी के बजाय स्पेशल कमेटी बनाई जाएगी. फिलहाल पूर्व सेक्रेटरी जनरल और कानूनी जनकारों से राय ली जा रही है.
सरकार ने हंगामे के दौरान विपक्षी सदस्यों के आचरण की जांच के लिए समिति गठित करने की मांग की है. सूत्रों ने बताया कि इस सत्र में हुए हंगामे और सरकार की मांग के मद्देनजर समिति गठित करने को लेकर अभी चर्चा जारी है.
बुधवार को राज्यसभा में जब बीमा विधेयक ध्वनिमत से पारित किया जा रहा था, उस समय भी विपक्षी सदस्य नारेबाजी कर रहे थे. उनमें से कुछ को यह पता नहीं चल सका कि विधेयक पारित हो गया है और उन्हें उनके नेताओं ने इसकी जानकारी दी. इससे पहले मंगलवार को, तृणमूल, कांग्रेस सहित विपक्ष के कुछ सदस्य अधिकारियों की मेज पर चढ़ गए थे जो आसन के ठीक नीचे है. सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद वे मेज पर बैठ गए थे.
राज्यसभा सचिवालय ने विपक्ष के दावे को बताया गलत
विपक्षी नेताओं ने यह दावा किया कि कुछ महिला सांसदों समेत सदन के कई सदस्यों के साथ ऐसे बाहरी लोगों ने धक्कामुक्की की, जो संसद की सुरक्षा का हिस्सा नहीं है. इस बयान पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, द्रमुक के टीआर बालू समेत 11 दलों के नेताओं के हस्ताक्षर हैं. जबकि राज्यसभा सचिवालय ने एक बयान में कहा, लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय के कर्मियों को तैनात किया गया था. आवश्यकता के अनुरुप इन कर्मियों की तैनाती की मंजूरी है. सुरक्षाकर्मियों में कोई बाहरी नहीं था.
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