Parliament Budget Session 2024: राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति ने मंगलवार को 11 निलंबित विपक्षी सांसदों को विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना का दोषी ठहराया, लेकिन सभापति जगदीप धनखड़ ने उनका निलंबन रद्द कर दिया. उन्हें बजट सत्र में भाग लेने की अनुमति दे दी. सूत्रों ने यह जानकारी दी है.
बजट सत्र के आरंभ होने से एक दिन पहले राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को सौंपी अपनी रिपोर्ट में समिति ने यह भी सिफारिश की कि सदस्य पहले जितनी अवधि तक निलंबन का सामना कर चुके हैं उसे ही अवमानना के लिए र्याप्त सजा के रूप में माना जाना चाहिए.
किन सांसदों का नाम है?
जिन सांसदों को 'विशेषाधिकार के उल्लंघन और सदन की अवमानना का दोषी ठहराया गया, उनमें जेबी मैथर हिशाम, एल हनुमंतैया, नीरज डांगी, राजमणि पटेल, कुमार केतकर, जी सी चंद्रशेखर, विनय विश्वम, संदोश कुमार पी, एम मोहम्मद अब्दुल्ला, जॉन ब्रिटास और ए ए रहीम शामिल हैं.
समिति ने इस बात को ध्यान में रखते हुए धनखड़ को रिपोर्ट सौंपी कि निलंबित सदस्य बुधवार (31 जनवरी) को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबोधन के दौरान उपस्थित नहीं हो पाएंगे.
सूत्रों ने कहा कि सभापति ने निलंबन को रद्द करने के लिए नियमों के तहत निहित अधिकार का इस्तेमाल किया, जिससे सदस्य राष्ट्रपति के अभिभाषण में भाग ले सकेंगे. संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सभापति ने निलंबित किए गए इन 11 सांसदों का मामला विशेषाधिकार समिति को भेजा गया था.
सरकार ने क्या कहा?
सरकार ने मंगलवार (30 जनवरी) की दोपहर को ही कहा था कि विपक्ष के वे 14 सांसद बजट सत्र में भाग ले सकेंगे जिन्हें शीतकालीन सत्र के दौरान निलंबित करने के साथ ही उनके मामले को विशेषाधिकार समितियों के पास भेज दिया गया था.
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि इन सांसदों के संदर्भ में सरकार के आग्रह पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सहमति जताई है.
कितने सांसदों का निलंबन हुआ था?
दोनों सदनों में कुल 146 विपक्षी सांसदों का निलंबन हुआ था. इनमें से 100 लोकसभा सदस्य और 46 राज्यसभा सदस्य शामिल थे. इनमें 132 सांसदों का निलंबन शीतकालीन सत्र के लिए था, लेकिन 14 सांसदों के मामलों को दोनों सदनों की विशेषाधिकार समितियों के पास भेज दिया गया था.
लोकसभा और राज्यसभा ने मिलकर 132 सांसदों को 21 दिसंबर को समाप्त हुए शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया था और इन 14 सांसदों का मामला संबंधित विशेषाधिकार समिति को भेज दिया था.