दिल्ली में अवैध निर्माण पर होने वाली कार्रवाई पर लगी रोक आगे भी रहेगी जारी, राज्यसभा से पास हुआ ये बिल
साल 2011 में इस अस्थायी कानून को तीन साल के लिए बढ़ा दिया. 2014 में मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही इस अस्थायी कानून की अवधि 31 दिसंबर 2020 तक के लिए बढ़ा दी थी. लेकिन जैसे ही ये अवधि खत्म होने की तारीख करीब आई दिल्ली में अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई का खतरा एक बार फिर से मंडराने लगा.
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नई दिल्ली: राज्यसभा से आज नेशनल कैपिटल टेरिटरी संशोधन बिल पास हो गया. इस बिल के पास होने से दिल्ली के लाखों लोगों को सीधा इसका फायदा मिलेगा. क्योंकि इस बिल के पास होने के बाद दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों, जेजे क्लस्टर व ग्रामीण इलाके में बिना इजाजत बने घरों व व्यावसायिक इमारतों पर बुलडोजर चलने का खतरा फिलहाल टल गया है.
दरअसल दिल्ली में सालों से अनधिकृत कॉलोनियों में बड़े पैमाने पर बिना कानूनी मंजूरी के निर्माण किए जाते रहे हैं. इसी वजह से इन निर्माणों पर तोड़फोड़ या सीलिंग होने का खतरा हमेशा बना रहता है. इसी को रोकने के लिए साल 2008 में केंद्र सरकार ने इनको संसद के एक कानून से अस्थायी तौर पर सुरक्षा कवच मुहैया कराई थी. सरकार ने 2008 में दिल्ली स्पेशल प्रोविजन एक्ट से एक साल के लिए इस तरह के निर्माण को राहत दी थी. उस वक्त इसकी अवधि एक साल की रखी गई थी. बाद में साल 2011 तक इसे तीन बार एक-एक साल के लिए बढ़ाया गया.
साल 2011 में इस अस्थायी कानून को तीन साल के लिए बढ़ा दिया. 2014 में मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही इस अस्थायी कानून की अवधि 31 दिसंबर 2020 तक के लिए बढ़ा दी थी. लेकिन जैसे ही ये अवधि खत्म होने की तारीख करीब आई दिल्ली में अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई का खतरा एक बार फिर से मंडराने लगा. जिसके चलते सरकार से मांग की गई कि पिछले सालों की तर्ज पर ही एक बार फिर से सरकार इस अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई से राहत दिलवाए. इसी को ध्यान में रखते हुए पिछले कई सालों की तरह मोदी सरकार ने दिसंबर 2020 में एक अध्यादेश लाकर दिल्ली में अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई पर 3 सालों के लिए रोक और बढ़ा दी थी.
बिल पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि मोदी सरकार को दिल्ली के लोगों की चिंता है. यही कारण है कि मोदी सरकार ने पिछले 6 सालों में यूपीए से कई गुना ज्यादा पैसा दिल्ली के लोगों पर खर्च किया है. हरदीप पुरी ने इसके साथ ही सदन को यह भी बताया कि क्योंकि कोरोना के चलते शीतकालीन सत्र नहीं बुलाया गया था, इस वजह से सरकार को अध्यादेश लाना पड़ा.
सरकार की पिछले कई सालों से दलील यही रही है कि इस रोक के दौरान अवैध निर्माण को नियमित करने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी. लेकिन अलग-अलग वजहों से पिछले करीब 12 सालों में ये मुमकिन नहीं हो सका है. माना जाता है कि इस राहत का फायदा दिल्ली की करीब चालीस लाख की आबादी को मिलता है.
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