नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने संकल्प को पूरा करते हुए नागिरकता संशोधन बिल को संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा से पास करा लिया है. अब इस बिल के कानून बनने में बस औपचारिकता ही रह गई है. कल राज्यसभा में करीब 8 घंटे से ज्यादा की चर्चा के बाद इस बिल पर वोटिंग हुई, जिसमें ये बिल राज्यसभा से पारित हो गया. बिल के पक्ष में 125 वोट और विरोध में 105 वोट पड़े. देश में कहीं बिल का विरोध हो रहा है तो कहीं लोग जश्न में डूबे नज़र आए. जानें इस बिल से जुड़ी दस बड़ी बात.


9 दिसंबर को लोकसभा से पास हुआ बिल


9 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ये बिल लोकसभा में पेश किया. लंबी चर्चा और हंगामे के बीच लोकसभा से ये बिल पास हो गया. बिल के समर्थन में 311 और विरोध में 80 वोट पड़े.  लोकसभा में वोटिंग के दौरान सबसे दिलचस्प बात यह रही कि शिवसेना ने बिल पेश करने के समर्थन में वोट किया था, लेकिन कल राज्यसभा से उसने वॉक आउट कर दिया.


लोकसभा में अमित शाह ने दूर किए ये संशय


इस बिल का पूर्वोत्तर के कई राज्यों में विरोध हो रहा है. लोकसभा में अमित शाह ने साफ किया कि ये बिल अरूणाचल प्रदेश, मिजोरम, नागालैंड (दीमापुर को छोड़कर), त्रिपुरा (लगभग 70%) और लगभग पूरे मेघालय में लागू ही नहीं होगा. असम में बोड़ो, कार्बी और डिमासा इलाके संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत आते हैं, लिहाजा वहां भी ये कानून लागू नहीं होगा. इसके अलावा अमित शाह ने लोकसभा में ये भी साफ किया कि पूर्वोतर के जिन राज्यों में इनर लाइन परमिट व्यवस्था है, वहां नागरिकता संशोधन बिल लागू नहीं होगा.


तमाम विरोध-प्रदर्शन के बाद राज्यसभा से भी पास हुआ बिल


तमाम विरोध-प्रदर्शन के बाद अमित शाह ने कल इस बिल को राज्यसभा में पेश किया. राज्यसभा में इस बिल के पक्ष में 125 जबकि विपक्ष में 105 वोट पड़े. इससे पहले बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया गया था. अब ये बिल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास जाएगा. जिसके बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ये बिल कानून बन जाएगा.


समाज को बांटने की राजनीति न करें विपक्ष- अमित शाह


सभी सदस्यों से बिल का समर्थन करने की अपील करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष से कहा कि वे समाज को बांटने की राजनीति न करें. बहस का जवाब देते हुए शाह ने कहा कि 44 सदस्यों ने सदन में अपनी राय, सुझाव व आपत्तियां पेश कीं. उन्होंने कहा, "मैं तथ्यों को पेश करना चाहता हूं. अगर देश का विभाजन नहीं होता तो नागरिकता अधिनियम में संशोधन की जरूरत नहीं होती. अगर पिछली कोई सरकार ने काम किया होता तो हम बिल नहीं लाते."


कब तक हम देश की समस्या को टालते रहेंगे- अमित शाह


बिल की आवश्यकता पर जोर देते हुए शाह ने कहा, "कब तक हम देश की समस्या को टालते रहेंगे. लियाकत-नेहरू समझौता (दिल्ली समझौता) आठ अप्रैल 1950 को हुआ था. दोनों देशों ने अल्पसंख्यकों के साथ सम्मान का व्यवहार करने और उन्हें अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता प्रदान करने पर सहमति जताई थी. यह वादा था. लेकिन आखिरकार वादा तोड़ दिया गया." उन्होंने सदन को भरोसा दिलाया कि बिल से अवैध अप्रवासी सच बयां कर पाएंगे कि वे अप्रवासी हैं और नागरिकता चाहते हैं.


उत्पीड़न के शिकार मुस्लिमों के लिए प्रावधान- अमित शाह


अमित शाह ने कहा, " नागरिकों को ध्यान में रखते हुए समस्या का समाधान हमारी सरकार की प्राथमिकता है. अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के संविधान का जिक्र किया जिनमें बताया गया है कि ये इस्लामिक देश हैं. क्या इन तीनों देशों में मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं? जब देश का धर्म इस्लाम हो तो मुस्लिमों के उत्पीड़न की घटना का मामला काफी कम हो जाता है." अमित शाह ने कहा, "उत्पीड़न के शिकार मुस्लिमों के लिए हमारे पास प्रावधान हैं और अलग-अलग मामले के आधार पर उनको नागरिकता दी गई है."


बिल से कोई मुस्लिम भाई-बहन प्रभावित नहीं होगा- अमित शाह


गृहमंत्री ने कहा, "मैंने हमेशा कहा है कि भारत में अल्पसंख्यकों को किसी बात से डरने की जरूरत नहीं है. नागरिकता संशोधन बिल से कोई मुस्लिम भाई-बहन प्रभावित नहीं होगा. विपक्ष विभाजन क्यों पैदा कर रहा है?" महात्मा गांधी का जिक्र करके उन्होंने अपने तर्क की पुष्टि करते हुए कहा, "26 सितंबर 1947 को गांधी ने कहा था कि पाकिस्तान में निवास करने वाले हिंदू और सिख भयमुक्त होकर भारत आ सकते हैं. उन्हें आश्रय और रोजगार देना भारत का कर्तव्य है."


बिल पास होने पर बोले मोदी- ऐतिहासिक दिन


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बिल के संसद से पारित होने के बाद इसे ऐतिहासिक दिन करार दिया. उन्होंने काह कि यह दिन करुणा और भाईचारे के मूल्यों के लिए महत्वपूर्ण दिन है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘विधेयक सालों तक पीड़ा झेलने वाले अनेक लोगों के कष्टों को दूर करेगा.’’ मोदी ने राज्यसभा में विधेयक का समर्थन करने वाले सभी सांसदों को धन्यवाद दिया.


असम में क्यों हो रहा है विरोध?


पूर्वोत्तर राज्यों के मूल निवासियों का मानना है कि इस बिल के आते ही वे अपने ही राज्य में अल्पसंख्यक बन जाएंगे और इस बिल से उनकी पहचान और आजीविका को खतरा है. प्रदर्शनकारियों ने सवाल उठाया, ‘’जब अरूणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड को नागरिक संशोधन बिल से बाहर रखा जा सकता है तो हमारे साथ दोहरा व्यव्हार क्यों किया जा रहा है?’’ विरोध-प्रदर्शन के बाद असम के कई इलाकों में इंटरनेट सेवाएं बंद है. कई इलाकों में कर्फ्यू भी लगा दिया गया है.


बिल में क्या है?


नागरिकता संशोधन बिल के कानून बन जाने के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में अवैध तरीके से निवास करने वाले अप्रवासियों के लिए अपने निवास का कोई प्रमाण पत्र नहीं होने के बावजूद नागरिकता हासिल करना आसान हो जाएगा. भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए पात्र होने की समय सीमा 31 दिसंबर 2014 होगी. मतलब इस तिथि के पहले या इस तिथि तक भारत में प्रवेश करने वाले नागरिकता के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे. नागरिकता पिछली तिथि से लागू होगी.


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