नई दिल्ली: राज्यसभा में होम्यापैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक 2020 पास हो गया है. अब राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद ये बिल लागू हो जाएगा. इससे पहले राज्यसभा में शुक्रवार को कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने सरकार से सवाल किया कि होमियोपैथी केंद्रीय परिषद के गठन में तीन साल क्यों लग गए.
कांग्रेस सदस्य रिपुन बोरा ने कहा कि होम्यापैथी केंद्रीय परिषद पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और उसके स्थान पर संचालक मंडल की स्थापना की गयी थी. शुरू में कहा गया था कि एक साल के अंदर परिषद का गठन कर लिया जाएगा. बाद में वह समय बढ़ाकर दो साल कर दिया. अब इसके लिए तीन साल की बात की जा रही है. उन्होंने सवाल किया कि दो साल बीत जाने के बाद भी इस परिषद का गठन नहीं हो सका. सपा सदस्य रामगोपाल वर्मा ने भी होमियोपैथी परिषद के गठन में देरी पर सवाल उठाया और कहा कि सरकार समय से परिषद का गठन क्यों नहीं कर पा रही है.
इसके पहले इलामारम करीम, केके रागेश, विनय विश्वम और केसी वेणुगोपाल ने पिछले दिनों जारी होम्यापैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश और भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश को नामंजूर करने के लिए संकल्प पेश किया. केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने दोनों विधेयक पेश करते हुए कहा था कि होम्यापैथी परिषद अपने दायित्वों को पूरा करने में विफल रहा. उस पर अनियमितताएं, पारदर्शिता का अभाव और भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. इसलिए परिषद के स्थान पर संचालक मंडल की स्थापना की गयी थी.
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