नई दिल्ली: मंगलवार को राज्यसभा में जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी गई. लोकसभा से ये बिल पहले ही पारित हो चुका है. यानी अब संसद के दोनों सदनों से पास हो गया जलियांवाला बाग संशोधन बिल पास हो गया है. आइए जानते हैं इस बिल के बारे में


क्यों लाना पड़ा ये संशोधन बिल


दरअसल जलियांवाला बाग स्मारक ट्रस्ट जब 1951 में बना था तब से कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष को इस ट्रस्ट का पदेन सदस्य बनाए जाने का प्रावधान था. मौजूदा बीजेपी सरकार ने तर्क दिया कि जब ट्रस्ट सरकारी है तो इसमें किसी पार्टी विशेष के अध्यक्ष के लिए विशेष प्रावधान कैसे हो सकता है. लिहाज़ा मुख्यतौर पर बिल में कांग्रेस अध्यक्ष को जलियांवाला बाग ट्रस्ट के पदेन सदस्य होने के प्रावधान को हटाया गया था. उसकी जगह पर सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को सदस्य बनाने का प्रावधान किया गया था. लेकिन राज्यसभा में इस बिल को कुछ संशोधन के साथ पारित किया गया है जिसमें अब अन्य सदस्यों के अलावा संसद में विपक्ष के नेता अथवा सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता को इस ट्रस्ट का पदेन सदस्य बनाया जाएगा.


ट्रस्ट में कुल 12 सदस्य होंगे


ट्रस्ट में कुल 12 सदस्य होंगे जिनमें 5 नामित सदस्य होंगे और 7 सरकार के पदेन सदस्य होंगे. नए ट्रस्ट में प्रधानमंत्री अध्यक्ष होंगे. ट्रस्ट में संस्कृति मंत्री, पंजाब के गवर्नर, पंजाब के मुख्यमंत्री और लोकसभा में नेता विपक्ष भी सदस्य होंगे. नेता विपक्ष का पद न होने की स्थिति में सदन में सबसे बड़ी पार्टी के नेता को सदस्य बनाया जाएगा. बिल के एक अन्य संशोधन के मुताबिक़ अब केंद्र सरकार को किसी मनोनीत ट्रस्टी का कार्यकाल बिना कारण बताए 5 साल की तय अवधि से पहले समाप्त करने का अधिकार भी मिल गया है.


शहीदों के परिवारों का प्रतिनिधि भी हो सकता है सदस्य


संस्कृति मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि राज्यसभा सदन में ये भी सुझाव आया है कि जो लोग जलियाँवाला बाग कांड में शहीद हुए या आज़ादी के आंदोलन में शहीद हुए उनके परिवार के लोगों को भी इसमें सदस्य बनाया जाए. शहीद भगत सिंह और शहीद ऊधम सिंह जैसे शहीदों के परिवार के नाम भी सुझाए गए हैं. इसे सरकार ने गम्भीरता से लिया है.


राज्यसभा में कांग्रेस ने विरोध नहीं किया


लोकसभा में कांग्रेस सांसदों ने बिल को मेमोरियल से कांग्रेस के नाम को मिटाने की साजिश करार दिया था और सदन से वाकआउट कर गए थे. लेकिन राज्यसभा में कांग्रेस सांसदों ने इसे पारित होने में विशेष आपत्ति नहीं की. कांग्रेस पार्टी के आरोप का जवाब देते हुए बीजेपी सांसद अनिल अग्रवाल ने कहा कि जब ट्रस्ट का गठन हुआ था इंडियन नेशनल कांग्रिस आज़ादी के आंदोलन का प्रतीक थी इसलिए उसके अध्यक्ष को ट्रस्ट का सदस्य बनाया गया लेकिन बाद में ये हाल हो गया कि कई-कई वर्षों तक इसकी मीटिंग भी नहीं होती थी. ऐसे में इसे पार्टी विशेष से मुक्त करना आवश्यक था.


विश्वस्तर का बनेगा जलियांवाला बाग मेमोरियल


जलियांवाला बाग कांड 13 अप्रैल 1919 को हुआ था.इस घटना को इस वर्ष 100 साल पूरे हुए हैं. संस्कृति मंत्री ने बताया कि नेशनल मेमोरीयल को विश्व स्तर का बनाया जाएगा. जिसमें आने वाली पीढ़ियों के लिए संदेश होगा. लाईट एंड साउंड शो में पूरी घटना को सही परिप्रेक्ष्य में दिखाया जाएगा. विदेशी पर्यटकों को भी ध्यान में रख कर इसे डिवेलप किया जाएगा. जलियांवाला बाग में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की निगरानी में क़रीब बीस करोड़ रुपये की लागत से काम शुरू हो चुका है.


क्या था जलियांवाला बाग हत्याकांड


13 अप्रैल, 1919 को पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के निकट जलियांवाला बाग में रौलट एक्ट के विरोध में एक सभा हो रही थी. तभी जनरल डायर नाम के एक अंग्रेज आफ़िसर ने अकारण उस सभा में उपस्थित भीड़ पर गोलियां चलवा दीं जिसमें 400 से अधिक व्यक्ति मारे गए और 2000 से अधिक घायल हुए. इस घटना में शहीद हुए भारतीय नागरिकों की याद में 1951 में स्मारक की स्थापना की गई थी.