आगामी लोकसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच राज्यसभा चुनाव की भी चर्चा है. दिल्ली की तीन और सिक्किम की एक राज्यसभा सीट के लिए चुनाव होना है. चारों सीटों के लिए 19 जनवरी को वोटिंग होगी. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सिक्किम की एकमात्र राज्यसभा सीट पर उम्मीदवार उतारकर राजनीतिक हलचलें बढ़ा दी हैं.
सिक्किम ऐसा राज्य है, जहां बीजेपी ना तो 2019 के आम चुनाव में अपना खाता खोल सकी थी और ना ही विधानसभा चुनाव में उसका एक भी विधायक जीत पाया. सूबे की एकमात्र सीट पर बीजेपी ने दोरजी त्शेरिंग लेपचा को उम्मीदवार बनाया है.
क्यों हो रही बीजेपी के इस फैसले की इतनी चर्चा
बीजेपी के इस फैसले की इतनी चर्चाएं क्यों हो रही हैं, इसे समझने के लिए सिक्किम का सियासी इतिहास और वर्तमान मुख्यमंत्री पीएस तमांग गोले का सियासी बैकग्राउंड जान लेते हैं. पीएस गोले को भ्रष्टाचार के एक मामले में सजा सुनाई गई थी. वह सजा काटकर 10 अगस्त, 2018 को जेल से बाहर आ गए. नियमों के मुताबिक, भ्रष्टाचार के किसी मामले में दोषी ठहराए जाने पर संबंधित नेता जेल से बाहर आने के बाद 6 साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ सकता.
नियमों के चलते पीएस गोले 2019 के विधानसभा चुनाव में नहीं उतरे थे. हालांकि, इस चुनाव में तमांग गोले की पार्टी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) की जीत के बाद विधायक दल की बैठक में गोले को विधायक दल का नेता चुन लिया गया और वह मुख्यमंत्री बने. इसके बाद अक्टूबर, 2019 में उपचुनाव जीतकर विधानसभा सदस्य निर्वाचित हो गए थे. सिक्किम डेमोक्रेटक फ्रंट (SDF) ने चुनाव आयोग पर गोले की अयोग्यता की अवधि 6 साल से घटाकर एक साल करने का आरोप लगाया था और सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल की.
क्या एसकेएम के जरिए सूबे की राजनीति में जमीन तैयार करने की कोशिश
सियासी गलियारों में ऐसी चर्चाएं बनी रहती हैं कि बीजेपी के सहयोग से ही पीएस गोले की कुर्सी और विधायकी बची थी और अब उनका विधानसभा सीट छोड़ना उसी एहसान का बदला चुकाने की कोशिश है. पीएस गोले ने एसकेएम की जीत सुनिश्चित होने के बावजूद राज्यसभा की सीट बीजेपी के लिए छोड़ दी है. सरकार सुरक्षित करने के लिए सहयोगी दल और दोरजी त्शेरिंग के लिए एक तरह से रिटर्न गिफ्ट की तरह देखा जा रहा है. पूर्वोत्तर की राजनीति की समझ रखने वाले एक्सपर्ट भी मानते हैं कि इन राज्यों में जनता स्थानीय पार्टियों की मुफीद है. ऐसे में बीजेपी के इस दांव से ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी एसकेएम की उंगली पकड़कर सूबे में सियासी जमीन तैयार करने की कोशिश कर रही है.