नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव की लड़ाई दिलचस्प हो गई है. यूपी की 10 सीटों के लिए बीजेपी ने ऐसा चक्रव्यूह रच दिया है कि दूसरी पार्टियों की मुश्किले बढ़ गई हैं. खासतौर से मायावती की मुश्किलें बढ़ गई हैं क्योंकि वे बीएसपी उम्मीदवार की जीत के लिए दूसरी पार्टी के उम्मीदवारों पर निर्भर हैं. यूपी की 10 राज्यसभा सीटों पर बीजेपी के आठ उम्मीदवारों का जीतना तय है लेकिन पार्टी सिर्फ इतने से संतुष्ट नहीं है. इसीलिए बीजेपी ने अपने नौंवे उम्मीदवार के तौर पर गाजियाबाद में कई शिक्षण संस्थान चलाने वाले अनिल अग्रवाल को भी मैदान में उतार दिया.


यूपी के राज्यसभा चुनाव का गणित


यूपी में एक राज्यसभा सीट के लिए 37 विधायकों के वोट जरूरी हैं. बीजेपी के पास कुल 324 विधायक हैं यानी आठ सदस्यों के चुने जाने के बाद भी उसके पास 28 वोट ज्यादा होंगे. वहीं नौवीं सीट पर 47 विधायकों वाली समाजवादी पार्टी की जीत तय है. अपने उम्मीदवार को जिताने के बाद समाजवादी पार्टी के पास भी 10 वोट ज्यादा हैं. अब असली लड़ाई 10वीं सीट की है जिसके लिए बीएसपी ने अपने उम्मीदवार भीमराव आंबेडकर को उतारा है. लेकिन यूपी में बीएसपी के सिर्फ 19 विधायक ही हैं. ऐसे में एसपी के 10 और कांग्रेस के 7 विधायकों के साथ बीएसपी के कुल 36 वोट हो जाएंगे. बीएसपी को उम्मीद है कि आरएलडी के एक वोट से उसके 37 वोट पूरे हो जाएंगे. लेकिन अब सभी 10 सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवारों के एलान के बाद बीएसपी का गणित गड़बड़ा सकता है.


शिवपाल सिंह यादव पर होंगी सबकी नजरें


साफ है कि अब मामला क्रॉस वोटिंग की तरफ बढ़ता दिख रहा है. अगर ऐसा हुआ तो सबकी नजर समाजवादी पार्टी के शिवपाल यादव और उनके समर्थक विधायकों पर होगी. अगर वो पार्टी लाइन से अलग हटकर वोट करते हैं तो बीजेपी 10वीं सीट जीते या न जीते बीएसपी के लिए अपनी एक सीट निकालना भी मुश्किल हो जाएगा.