नई दिल्ली: राज्यसभा के उपसभापति पद के लिए तृणमूल कांग्रेस अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी. कल संसद सत्र के दौरान रणनीति पर चर्चा करने के लिए विपक्षी दलों की एक बैठक हुई, जिसके बाद तृणमूल कांग्रेस ने इस बात का एलान किया. टीएमसी के इस एलान के बाद अब शरद पवार की पार्टी एनसीपी को उम्मीदवारी मिल सकती है.
तृणमूल कांग्रेस ने उन अटकलों को खारिज़ कर दिया है, जिसमें कहा जा रहा था कि राज्यसभा के उपसभापति पद के लिए होने वाले सम्भावित चुनाव में पार्टी के राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर रॉय विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर उतारे जा सकते हैं. ख़ुद सुखेंदु शेखर रॉय ने पार्टी की ओर से इन अटकलों पर विराम लगा दिया. रॉय ने कहा कि उनकी पार्टी ने ये पहले ही साफ कर दिया है कि उपसभापति के लिए होने वाले चुनाव में पार्टी अपना उम्मीदवार नहीं उतरेगी.
तृणमूल के इनकार के बाद अब कौन?
तृणमूल कांग्रेस के इनकार के बाद उपसभापति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार को लेकर एक बार फिर अटकलें तेज़ हो गई हैं. सोमवार को संसद की रणनीति पर विचार के लिए हुई विपक्षी पार्टियों की बैठक में इस मुद्दे पर भी चर्चा तो हुई लेकिन सूत्रों के मुताबिक किसी एक पार्टी या नाम पर चर्चा नहीं हुई.
केवल संविधान की धारा 89 (2) का जिक्र किया गया है, जिसमें उपसभापति का पद खाली होने पर उसे जल्द से जल्द भरे जाने को कहा गया है और इसलिए मॉनसून सत्र के दौरान ही इस पद पर किसी को बिठाने की बात कही गई. कुछ पार्टियों के प्रतिनिधियों ने कहा कि इस मसले पर अंतिम फ़ैसला उनकी पार्टी के अध्यक्ष करेंगे.
सरकार की तरफ़ से नहीं की गई कोई पहल
हालांकि सभी पार्टियों का मानना था कि अगर इस पद के लिए चुनाव होता है तो विपक्ष को एक साझा उम्मीदवार ज़रूर खड़ा करना चाहिए. दरअसल अभी तक सरकार की तरफ़ से इस मसले पर कोई बड़ी पहल नहीं की गई है और इसीलिए विपक्ष सरकार की ओर से किसी प्रस्ताव का इंतज़ार कर रहा है. इतना ज़रूर तय माना जा रहा है कि विपक्ष की ओर से कम से कम कांग्रेस का कोई नेता उम्मीदवार के तौर पर नहीं उतारा जाएगा. चर्चा इस बात की भी होने लगी है कि तृणमूल के इनकार के बाद शरद पवार की पार्टी एनसीपी को उम्मीदवारी का प्रस्ताव दिया जा सकता है.
सरकार को घेरने की साझा रणनीति
वहीं, राज्यसभा में विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आजाद की अगुवाई में कल एक बैठक हुई जिसमें बुधवार से शुरू हो रहे संसद के मॉनसून सत्र के दौरान विपक्ष की रणनीति पर चर्चा हुई. बैठक के बाद ये दावा किया गया कि समूचा विपक्ष संसद को सुचारू रूप से चलाना चाहता है. सरकार पर आरोप लगाया गया कि पिछले सत्र में सरकार के ही कुछ सहयोगियों ने सदन नहीं चलने दिया गया. बैठक में फैसला लिया गया कि सत्र के दौरान बेरोज़गारी, किसानों की समस्याएं, भीड़ की तरफ से लोगों की हत्या और आरक्षण जैसे मुद्दे उठाए जाएंगे. साथ ही पीएम मोदी की तरफ से कांग्रेस को मुसलमानों की पार्टी कहे जाने के मामले को कांग्रेस पार्टी ज़ोर शोर से उठा सकती है.
सत्र के एक दिन पहले आज बैठकों का दौर
कल से शुरू हो रहे मॉनसून सत्र के हंगामेदार रहने की संभावना है. संसद सुचारू रूप से चलाने की कोशिशों के तहत संसदीय कार्य मंत्री अनन्त कुमार के अलावा लोकसभा की अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू चर्चा के लिए आज सभी पार्टियों के नेताओं से अलग अलग बैठक करेंगे.
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