दिल्ली पुलिस कमिश्नर के तौर पर राकेश अस्थाना की डगर आसान नहीं, जानें क्या हैं चुनौतियां?
दिल्ली को इस समय किसानों से घेरा हुआ है. आए दिन दिल्ली में धरना प्रदर्शन होते रहते हैं. इसके अलावा वीआईपी मूवमेंट के चलते कानून व्यवस्था की समस्या खड़ी रहती है.
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गुजरात कैडर के 1984 बैंच के वरिष्ठ आईपीएस राकेश अस्थाना ने आज एक साल के लिए दिल्ली पुलिस के स्थायी पुलिस कमिश्नर के तौर पर अपना कार्यभार गृहण कर लिया. कार्यभार संभालने के फौरन बाद अस्थाना ने कहा कि पुलिस का काम लॉ एड आर्डर को मेन्टेन करना है. क्राइम पर नियत्रंण पाना है. हमारा फोकस यही रहेगा. लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू यह भी है कि अस्थाना के लिए दिल्ली पुलिस कमिश्नर के तौर पर इस पनघट की डगर आसान नहींं है.
मात्र तीन दिन बाद रिटायर हो रहे गुजरात कैडर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी राकेश अस्थाना को मंगलवार की रात केन्द्र सरकार ने अचानक एक साल का सेवा विस्तार देते हुए दिल्ली पुलिस का नया पुलिस मुखिया बना दिया गया। इसके साथ ही राकेश अस्थाना ने आज दोपहर दिल्ली पुलिस मुख्यालय मे अपना पदभार गृहण भी कर लिया पुलिस मुख्यालय पहुचंने पर पुलिस आयुक्त का अस्थायी कार्यभार देख रहे बालाजी श्रीवास्तव ने उनका फूलों से स्वागत किया। इसके बाद राकेश अस्थाना ने दिल्ली की जनता को अपना पहला संदेश दिया.
अस्थाना ने कहा कि पुलिस का काम लॉ एंड आर्डर को मेन्टेन करना है. क्राइम पर नियंत्रण पाना है. हमारा फोकस यही रहेगा. सभी प्रॉबलम्स को एड्रेस करेंगे. दिल्ली पुलिस ने काफी कठिन केस सॉल्व किए हैं. हमारी प्राथमिकता लॉ एंड आर्डर को मेंटेन करना है. हम दिल्ली की जनता के लिए एक टीम की तरह काम करेंगे.
दिल्ली में बाहरी काडर के पुलिस आयुक्त के तौर पर राकेश अस्थाना दूसरे पुलिस अधिकारी है जिन्हें पुलिस कमिश्नर बनाया गया है. इसके पहले बीजेपी के ही शासनकाल में यूपी काडर के अजयराज शर्मा को दिल्ली का पुलिस आयुक्त बनाया गया था. दोनों में फर्क इतना है कि अजयराज शर्मा के पास तैनाती के समय तीन साल की सेवा बची थी जबकि अस्थाना के पास तीन दिन की.
दिल्ली पुलिस कमिश्नर के तौर पर राकेश अस्थाना के दिल्ली पनघट की राह इतनी आसान भी नहीं है क्योकि दिल्ली में जहां आए दिन होने वाले धरने प्रदर्शन और वीआईपी मूवमेंट के चलते कानून व्यवस्था की समस्या खड़ी होती रहती है, वहीं दिल्ली को इस समय किसानों ने घेरा हुआ है.
ऐसे में इस समस्या से निबटना उनके लिए सिरदर्द बना रहेगा. दूसरी दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार होने के चलते दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस के बीच तनाव बना रहता है और उन्हें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत कांग्रेस के प्रहार भी झेलने होंगे. साथ ही दिल्ली मे अगले साल नगर निगम के चुनाव होने हैं और उत्तर प्रदेश में भी चुनाव होने के कारण दिल्ली उस लपट से अछूती नहींं रहेगी.
इसके साथ ही देश की राजधानी होने के कारण भी दिल्ली आतंकियो के रडार पर लगातार रहती है और कभी कभी ऐसी आपराधिक घटनाएं हो जाती हैं जिसकी सीधी गाज पुलिस कमिश्नर पर ही पड़ती है. ऐसी गाज साल 1997 में पुलिस कमिश्नर निखिल कुमार पर पड़ी थी जब कनॉट प्लेस में हुए एनकाउंटर मामले में गलत शख्स का एनकाउंटर होने पर उन्हें 24 घंटे के भीतर ही दिल्ली पुलिस मुखिया के पद से हटा दिया गया था.
मानने वाले भले ही मानें कि दिल्ली पुलिस कमिश्नर बना कर राकेश अस्थाना को केंद्र सरकार ने लाभान्वित किया है लेकिन ये तो आने वाला समय ही बतायेगा कि यह कुर्सी उनके लिए फूलों का या फिर कांटों का ताज साबित होती है. राकेश अस्थाना इसके पहले बीएसएफ में डीजी के पद पर तैनात थे और उनका नाम सीबीआई निदेशक के तौर पर भी चला था.
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