राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन तेज करने के दिए संकेत, कहा- दिल्ली-नोएडा बॉर्डर को ब्लॉक करेंगे
तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-यूपी और दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर किसान पिछले साल नवंबर से डटे हुए हैं. राकेश टिकैत कई मौकों पर साफ तौर पर कह चुके हैं कि जब तक सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी, हमारा आंदोलन जारी रहेगा.
नई दिल्ली: भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने किसान आंदोलन को तेज करने के संकेत दिए हैं. उन्होंने कहा कि किसान दिल्ली-नोएडा बॉर्डर को ब्लॉक करेंगे. उन्होंने कहा कि 'हां, हम दिल्ली-नोएडा बॉर्डर को ब्लॉक करेंगे. कमेटी ने अभी तारीख तय नहीं की है.' गौरतलब है कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साल नवंबर महीने में शुरू हुआ किसान आंदोलन दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर अभी भी जारी है.
इससे पहले मध्य प्रदेश के जबलपुर में राकेश टिकैत ने सोमवार को कहा कि केन्द्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन तब तक चलेगा जब तक ये कानून वापस नहीं लिए जाते और दिसंबर के बाद किसान आंदोलन में आगे की कार्रवाई के बारे में निर्णय लिया जायेगा.
जबलपुर से 45 किलोमीटर दूर सीहोरा में एक रैली को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम में अपनी उपज नहीं बेचेंगे. रैली के स्थान और उसके आसपास टिकैत की तस्वीर वाले कुछ पोस्टरों को कल रात फाड़े जाने की घटना पर टिकैत ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई का किसानों या उनके आंदोलन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि किसानों के इस आंदोलन में सत्तारुढ़ भाजपा के जो नेता शामिल होना चाहते हैं, उनका स्वागत है. उन्होंने आह्वान किया कि दिल्ली के पास चले रहे किसान आंदोलन की तरह किसान यहां भी आंदोलन करें।
वहीं पिछले हफ्ते टिकैत बंगाल भी पुहंचे थे. शनिवार को कोलकाता और नंदीग्राम में महापंचायतों को आयोजन किया. राकेश टिकैत ने कहा था, 'संयुक्त किसान मोर्चा ने जिस दिन तय कर लिया, उस दिन संसद के सामने एक मंडी खुल जाएगी. अगला टारगेट संसद पर फसल बेचने का होगा. संसद में मंडी खुलेगी. पीएम ने कहा है कि मंडी के बाहर कही भी सब्जी बेच लो. ट्रैक्टर दिल्ली में घुसेंगे. हमारे पास साढे़ तीन लाख ट्रैक्टर हैं और 25 लाख किसान हैं.'
इसके साथ ही उन्होंने कहा था, 'बंगाल के लोगों को संदेश है कि भारत सरकार ने देश को लूट लिया है उन्हें वोट नहीं करना. अपने बंगाल को बचाना. अगर कोई वोट मांगने आए तो उनसे पूछना कि हमारा एमएसपी कब मिलेगा, धान की कीमत 1850 हो गई है वो कब मिलेगी?'
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