नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अपील ठुकराते हुए कहा कि हमने जनवरी के पहले हफ्ते में सुनवाई के लिए तारीख तय की है. हम इसपर जल्दी करने की कोई जरूरत नहीं समझते हैं. अखिल भारतीय हिन्दू महासभा ने अयोध्या मामले पर सुनवाई जल्द करने के लिए याचिका दाखिल की थी. जिसे अदालत ने ठुकरा दिया.
29 अक्टूबर को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 में अयोध्या की विवादित जमीन के तीन भाग करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई अगले साल जनवरी में करने का निर्देश दिया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 के अपने फैसले में विवादित स्थल को तीन भागों रामलला, निर्मोही अखाड़ा व मुस्लिम वादियों में बांटा था.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टलने के बाद से हिंदूवादी संगठनों और बीजेपी के कुछ नेताओं ने राम मंदिर के लिए अध्यादेश लाने की मांग की है. उनका कहना है कि राम मंदिर में बहुत देरी हो चुकी है. आरएसएस, वीएचपी और शिवसेना ने प्रदर्शन करने की बात कही है. राम मंदिर को लेकर अयोध्या, दिल्ली में संतों की कई बैठकें हो चुकी है.
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सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई टाले जाने पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा था कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनने में देरी होने से हिंदू आपे से बाहर हो रहे हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर हिंदुओं का धैर्य जवाब दे गया तो क्या कुछ हो जाएगा, इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता.
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