Ram Mandir Pran Pratishtha: अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पूरा हो चुका है. रामलला अयोध्या में विराजमान हो गए हैं. मंदिर में विराजमान हुए रामलला का पहला वीडियो भी सामने आ गया है. इसमें रामलला की प्रतिमा पर खूबसूरत मुस्कान को देखा जा सकता है. उन्हें स्वर्ण आभूषणों से सजाया गया है. प्रतिमा को फूल-मालाओं से सजाया गया है. उनके सोने से बने मुकुट को भी देखा जा सकता है, जिसमें कई तरह के रत्न जड़े गए हैं.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आरएसएस चीफ मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामलला की पूजा की है. प्राण प्रतिष्ठा के दौरान ये सभी लोग गर्भगृह में मौजूद रहे. पीएम मोदी चांदी का छत्र लेकर राम मंदिर पहुंचे थे, जिसे उन्होंने पुजारी को सौंपा. प्रधानमंत्री मोदी ने कमल के फूल को भगवान राम के चरणों में अर्पित किया. प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए पीएम मोदी पीतांबर वस्त्र धारण करके पहुंचे.


#WATCH | Ram Lalla idol at the Shri Ram Janmaboomi Temple in Ayodhya#RamMandirPranPrathistha pic.twitter.com/QOW51jbt5L






रामलला की मूर्ति की खासियत क्या है?


राम मंदिर में विराजमान हुई रामलला की मूर्ति की ऊंचाई 51 इंच है. इस मूर्ति को कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने तैयार किया है. मूर्ति को काले पत्थर से तैयार किया गया है, ताकि दूध के जरिए जब अभिषेक किया जाए तो इसका पत्थर पर कोई असर नहीं पड़े. किसी अन्य पदार्थ का भी मूर्ति पर कोई असर नहीं होने वाला है. रामलला की मूर्ति को तैयार करने के लिए एक ही पत्थर का इस्तेमाल किया गया है, यानी एक ही पत्थर को तराश कर इसे तैयार किया गया है. रामलला की मूर्ति का वजन करीब 200 किलोग्राम है.


मंदिर की क्या खासियतें हैं?


श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया गया है. पूर्व से पश्चिम तक इसकी लंबाई 380 फीट है, जबकि चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है. राम मंदिर में 392 पिलर्स लगाए गए हैं और इसमें 44 दरवाजे हैं. मंदिर के स्तंभों और दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं और देवियों के चित्र बनाए गए हैं. भूतल पर मुख्य गर्भगृह में भगवान श्री राम के बचपन के स्वरूप यानी श्री रामलला की मूर्ति को रखा गया है.


मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार पूर्वी दिशा में स्थित है, जहां सिंह द्वार के माध्यम से 32 सीढ़ियां चढ़कर पहुंचा जा सकता है. मंदिर में कुल पांच मंडप (हॉल) हैं - नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप. मंदिर के पास एक ऐतिहासिक कुआं (सीता कूप) है, जो प्राचीन काल का है. मंदिर परिसर के दक्षिण-पश्चिमी भाग में, कुबेर टीला में भगवान शिव के प्राचीन मंदिर को रेनोवेट किया गया है, साथ ही जटायु की एक मूर्ति भी स्थापित की गई है. 


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