Supreme Court on Pran Pratistha Live Telecast: तमिलनाडु में रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह के प्रसारण पर रोक लगाने की मांग पर मद्रास उच्च न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने इस मामले में तत्काल सुनवाई करते हुए आदेश दिया है कि निजी परिसरों पर प्राण प्रतिष्ठा का सीधा प्रसारण करने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा.
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (22 जनवरी) को तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी कर कहा कि राम मंदिर उद्घाटन के लाइव टेलीकास्ट की इजाजत को खारिज नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में कहा गया था कि द्रमुक के नेतृत्व वाली सरकार ने प्राण प्रतिष्ठा के लाइव टेलीकास्ट पर प्रतिबंध लगा दिया है, जो सही नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा ये
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि, सीधा प्रसारण को इसलिए नहीं रोक सकते कि पड़ोस में अन्य समुदाय भी रहते हैं. यह एक समरूप समाज है, इसे केवल इस आधार पर न रोकें कि अन्य समुदाय भी हैं.
20 जनवरी को दिया था मौखिक आदेश
तमिलनाडु के मंदिरों में अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के सीधे प्रसारण पर रोक लगाने वाले 20 जनवरी के मौखिक आदेश को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि कोई भी मौखिक आदेश का पालन करने के लिए बाध्य नहीं है.
राज्य सरकार ने आरोपों को बताया था गलत
तमिलनाडु सरकार के वकील ने कहा कि याचिका राजनीति से प्रेरित है. पीठ ने इस याचिका पर तमिलनाडु सरकार से 29 जनवरी तक जवाब भी मांगा हैं. यह याचिका विनोज नाम के व्यक्ति ने दायर की है, जिसमें कहा गया है कि द्रमुक की सरकार ने प्राण प्रतिष्ठा के लाइव टेलीकास्ट पर प्रतिबंध लगा दिया है. हालांकि राज्य सरकार ने आरोपों को झूठा बताया था.
प्रशासनिक अधिकारियों को दी नसीहत
सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासनिक अधिकारियों से कहा कि वे कानून के अनुसार ही काम करें. किसी भी मौखिक आदेश पर कार्रवाई न करें. जजों ने आगे कहा कि हमें भरोसा है कि अधिकारी कानून के मुताबिक काम करेंगे.
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