Ram Mandir Inauguration: अयोध्या ही नहीं, एमपी के इस शहर में भी विराजमान हैं भगवान राम, हर रोज दी जाती है बंदूकों से सलामी
Ram Mandir Pran Pratistha: मध्य प्रदेश के ओरछा में भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है. इसे मध्य प्रदेश का अयोध्या भी कहते हैं. कहते हैं कि ओरछा की रानी भगवान राम को यहां अयोध्या से लाई थीं.
Ram Mandir Ayodhya Latest News: राम भक्तों का 500 सालों का इंतजार अब खत्म हो चुका है. अयोध्या में राम मंदिर बन चुका है और मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम बालस्वरूप मंदिर में विराजमान हो रहे हैं. सोमवार (22 जनवरी) से लोग यहां रामलला के दर्शन और उनकी पूजा कर सकेंगे. राम के अपने धाम आने पर पूरे देश में हवन, पूजा और जश्न का दौर भी चल रहा है.
ऐसे में आज हम आपको ले चलेंगे अयोध्या से अलग एक ऐसी जगह जहां भगवान राम बालक रूप में नहीं, बल्कि राजा के रूप में रहते हैं और उनकी पूजा खास अंदाज में की जाती है. ये जगह है मध्य प्रदेश के ओरछा में. यहां के लोग भगवान राम को राजा के रूप में पूजते हैं. सबसे खास बात ये है कि यहां भगवान राम को शासन की ओर से एक दिन में चार बार गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है. इस जगह को मध्य प्रदेश का अयोध्या भी कहा जाता है. यहां के लोग भगवान राम को बालस्वरूप में नहीं बल्कि राजा के रूप में पूजते हैं.
600 साल पुराना है नाता!
कहा जाता है कि ओरछा की रानी महारानी कुंवरि गणेश भगवान राम को बाल रूप में अयोध्या से लाई थीं. ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री रामराजा सरकार दिन में ओरछा में रहते हैं, लेकिन रात को शयन के लिए अयोध्या जाते हैं. यहां के लोग कहते हैं कि अयोध्या और ओरछा का रिश्ता करीब 600 साल पुराना है. ये बात है संवत 1631 की. ओरछा की रानी महारानी कुंवरि गणेश राम भक्त थीं, जबकि ओरछा के शासक मधुकर शाह कृष्ण भक्त थे.
भगवान राम ने ओरछा चलने से पहले रखी तीन शर्तें
एक बार मधुकर शाह ने रानी को वृंदावन चलने के लिए कहा, लेकिन महारानी ने इसे ठुकरा दिया और राजा के सामने अयोध्या चलने की जिद कर दी. इस दौरान राजा ने मजाक में कह दिया कि तुम अपने राम को अयोध्या से ओरछा लाकर दिखाओ. इसके बाद महारानी अयोध्या के लिए रवाना हो गईं. महारानी ने अयोध्या में 21 दिनों तक तप किया. इतनी साधना के बाद भी जब भगवान राम नहीं आए तो महारानी सरयू नदी में कूद गईं.
कहा जाता है कि उनकी भक्ति देखकर भगवान राम बाल स्वरूप में सरयू नदी के अंदर ही महारानी की गोद में आ गए. इसके बाद महारानी ने भगवान राम से अयोध्या से ओरछा चलने को कहा. इस पर भगवान राम ने तीन शर्तें रखीं. पहली शर्त यह थी कि मैं यहां से जाकर जिस जगह बैठ जाऊंगा, वहां से नहीं उठूंगा. दूसरी शर्त ये थी कि ओरछा के राजा के रूप में विराजित होने के बाद किसी दूसरे की सत्ता वहां नहीं रहेगी.
भगवान राम की तीसरी शर्त थी कि खुद को बाल रूप में पैदल एक विशेष पुष्य नक्षत्र में साधु संतों के साथ ले जाया जाए. महारानी कुंवरि ने उनकी तीनों शर्तें मान लीं. इसके बाद वो ओरछा आ गए और जन-जन के आराध्य प्रभु श्रीरामराजा सरकार कहलाए.
चार बार होती है आरती, हर बार गार्ड ऑफ ऑनर
ओरछा के रामराजा मंदिर में भगवान राम की आरती चार बार होती है और हर बार उन्हें बंदूक से सलामी यानी गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है. ओरछा नगर के परिसर में यह गार्ड ऑफ ऑनर रामराजा के अलावा देश के किसी भी वीवीआईपी को नहीं मिलता है. बेशक यहां प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ही क्यों न आ जाएं, लेकिन उन्हें भी बंदूक से सलामी नहीं मिलती है.
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