Ram Mandir Inauguration: अयोध्या पर जवाहरलाल नेहरू का आदेश टालने वाले IAS अफसर की पूरी कहानी!
Ram Mandir Pran Pratistha: आईएएस के.के. नायर ने उस वक्त के पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू के आदेश को यह कहते हुए नहीं माना कि मूर्तियां हटाने से हिंदुओं की भावनाएं आहत होंगी और दंगे भड़क सकते हैं.
Ram Mandir Ayodhya Latest News: अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर पूरे देश में उत्साह है. घर से लेकर बाजार तक, हर तरफ राम का रंग नजर आ रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद लोग इसे दिवाली की तरह मनाने की तैयारी में जुटे हुए हैं. कई राज्यों में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जा चुका है. केंद्र सरकार ने भी आधे दिन की छुट्टी का ऐलान कर दिया है. हर कोई इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनना चाहता है, लेकिन यह पल यूं ही नहीं आया है. इसके पीछे कई वर्षों का संघर्ष, हजारों लोगों का समर्पण और कुर्बानी छिपी हुई है.
राम मंदिर के संघर्ष में कई ऐसे भी हीरो हैं जिन्होंने इसमें काफी योगदान दिया, लेकिन उनकी कुर्बानी को या तो गिना ही नहीं गया या लोगों ने भुला दिया. इस संघर्ष के एक ऐसे ही एक हीरो थे के.के. नायर. इन्होंने राम मंदिर के लिए जो योगदान दिया है, उनके बारे में आज के युवा शायद ही कुछ जानते हों. यहां हम बताएंगे के.के. नायर से जुड़ी खास बातें.
कौन थे के.के. नायर?
के.के. नायर का पूरा नाम कंडांगलाथिल करुणाकरण नायर था. इनका जन्म 11 सितंबर, 1907 को केरल में हुआ था. इनका बचपन केरल के अलाप्पुझा के कुट्टनाड गांव में बीता था. यहां अपनी बेसिक शिक्षा पूरी करने के बाद नायर हायर एजुकेशन के लिए इंग्लैंड चले गए. वहां से लौटकर भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा मात्र 21 साल की उम्र में पास कर ली. सिविल सेवा पास करने के बाद उन्हें फैजाबाद का उपायुक्त सह जिला मैजिस्ट्रेट पद पर तैनाती मिली थी..
दो बार नहीं माना नेहरू का आदेश
आईएएस केके नायर 1949 में फैजाबाद के डीएम बन चुके थे. तब 22-23 दिसंबर 1949 की रात में कुछ लोगों ने विवादित ढांचे के गर्भगृह में रामलला की मूर्तियां रख दी थीं. इसके बाद काफी बवाल हुआ. इसे देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उत्तर प्रदेश के सीएम गोविंद बल्लभ पंत से मूर्तियां हटवाने को कहा. इसके बाद गोविंद बल्लभ पंत ने इन मूर्तियों को हटाने के आदेश डीएम के.के. नायर को दिए, लेकिन डीएम के.के. नायर ने ऐसा करने से इनकार कर दिया.
पीएम के कहने पर सीएम ने दूसरी बार भी के.के. नायर को आदेश दिया, लेकिन उन्होंने ये कहते हुए मूर्तियां हटवाने से इनकार कर दिया कि इससे हिंदुओं की भावना आहत होगी और दंगे भड़क सकते हैं. दूसरी बार में के.के. नायर ने लिखा कि मूर्ति हटाने से पहले मुझे हटाया जाए. माहौल को देखते हुए सरकार पीछे हट गई, लेकिन पीएम और सीएम के आदेश न मानने पर उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था. वह हाई कोर्ट गए और वहां से स्टे पाकर फिर से फैजाबाद के डीएम बन गए थे.
पति और पत्नी दोनों ही पहुंचे संसद
इस घटना के बाद से के.के. नायर मशहूर हो चुके थे. उन्होंने कुछ साल तक नौकरी की और फिर 1952 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली. इसके कुछ दिन बाद वह राजनीति में आ गए. चौथी लोकसभा के लिए हुए बहराइच सीट से जनसंघ के टिकट पर खड़े हुए और विजयी होकर संसद तक पहुंचे. उनकी पत्नी शकुंतला नायर भी राजनीति में आ गईं और कैसरगंज लोकसभा सीट से तीन बार जनसंघ के टिकट पर विजय रहीं.
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