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अयोध्या भूमि विवाद: जानिए- कौन है मध्यस्थता के पक्ष में और कौन नहीं
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि मध्यस्थता में कोई कानूनी अड़चन नज़र नहीं आती है. सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पैनल गठित की है.
नई दिल्ली : अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थ नियुक्त कर दिये हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए जिस पैनल को गठित किया है उस पैनल में पूर्व जस्टिस ख़लीफुल्ला, श्री श्री रविशंकर और तीसरा नाम श्रीराम पंचु का है. एफएम खलीफुल्ला राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में मध्यस्थता करने वाले पैनल के मुखिया होंगे. इस पैनल को 8 हफ्तों में रिपोर्ट सौंपनी होगी.
कौन मध्यस्थता के पक्ष में है और कौन विरोध में
राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले में मुख्यत: तीन पक्षकार (रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड) हैं. इसके अलावा कई अन्य संगठन और वकीलों ने याचिका दाखिल की है. यूपी सरकार भी एक पक्ष है.
सुन्नी वक्फ बोर्ड मध्यस्थता के लिए तैयार है. वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने दावा किया है कि निर्मोही अखाड़ा भी मध्यस्थता के लिए तैयार है. वहीं हिंदू पक्षकार रामलला विराजमान मध्यस्थता का विरोध कर रहा है. पिछली सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या भूमि विवाद में मध्यस्थता का विरोध किया था. यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि मामले की प्रकृति को देखते हुए यह उचित नहीं है.यहां देखिए कोर्ट का फैसला
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