अयोध्या विवाद: निर्मोही अखाड़ा और मुस्लिम पक्षकार मध्यस्थता के पक्ष में है, रामलला विराजमान ने किया विरोध
राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले में मुख्यत: तीन पक्षकार (रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड) हैं. इसके अलावा कई अन्य संगठन और वकीलों ने याचिका दाखिल की है. यूपी सरकार भी एक पक्ष है.
नई दिल्ली: अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले में मध्यस्थता के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में करीब एक घंटे तक सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से मध्यस्थ के नाम सुझाने के लिए कहा है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, ''हम जल्द ही आदेश देंगे. पक्ष चाहें तो मध्यस्थों के नाम का सुझाव सकते हैं.'' यानी अगर सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता के पक्ष में फैसला देगा तो इन सुझाए गए नामों पर विचार किया जाएगा.
दरअसल, राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले में मुख्यत: तीन पक्षकार (रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड) हैं. इसके अलावा कई अन्य संगठन और वकीलों ने याचिका दाखिल की है. यूपी सरकार भी एक पक्ष है.
तीनों पक्षकारों में से दो निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड मध्यस्थता के लिए तैयार है. वहीं हिंदू पक्षकार रामलला विराजमान मध्यस्थता का विरोध कर रहा है. सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या भूमि विवाद में मध्यस्थता का विरोध किया, उच्चतम न्यायालय से कहा कि मामले की प्रकृति को देखते हुए यह उचित नहीं है.
सुनवाई के दौरान हिंदू महासभा की दलील पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बोबडे ने कहा कि जब वैवाहिक विवाद में कोर्ट मध्यस्थता के लिए कहता है तो किसी नतीजे की नहीं सोचता. बस विकल्प आजमाना चाहता है. हम ये नहीं सोच रहे कि कोई किसी चीज का त्याग करेगा. हम जानते हैं कि ये आस्था का मसला है, हम इसके असर के बारे में जानते हैं.
बोबडे ने कहा कि हम हैरान हैं कि विकल्प आज़माए बिना मध्यस्थता को खारिज क्यों किया जा रहा है? कोर्ट ने कहा अतीत पर हमारा नियंत्रण नहीं है पर हम बेहतर भविष्य की कोशिश जरूर कर सकते हैं.
वहीं जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह सिर्फ पक्षों का विवाद नहीं है. दोनों तरफ करोड़ों लोग हैं. मध्यस्थता में जो निकलेगा, वो सबको मान्य कैसे होगा. जिसपर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि आप आदेश दे देंगे तो सब मानेंगे.
राजीव धवन ने कहा कि हम चाहते हैं मध्यस्थता बंद कमरे में हो. बातें लीक न हों. हम मध्यस्थता के लिए जाने को तैयार हैं. निर्मोही अखाड़ा भी तैयार है.
हिंदू पक्ष के हरिशंकर जैन ने कहा कि कोर्ट मध्यस्थता से पहले सभी पक्षों की बात सुने, ये नियम है. इसी दौरान जस्टिस बोबडे ने कहा कि अगर हम भूमि विवाद पर डिग्री (फैसला) दें तो क्या वो सबको मान्य हो जाएगा?
रामलला विराजमान के वकील सी एस वैद्यनाथन ने कहा कि मध्यस्थता के पहले बहुत प्रयास हुए. अयोध्या रामजन्मभूमि है, इस पर कोई सुलह मुमकिन नहीं है. सरकार देख ले कि मस्ज़िद के लिए कहां जगह दी जा सकती है. समझौते का इकलौता बिंदु यही हो सकता है. मध्यस्थता पर जाने की कोई जरूरत नहीं है.