राम मंदिर भूमि पूजन कार्यक्रम: जानिए किस-किस को मिला न्योता, क्यों रद्द हुआ आडवाणी का निमंत्रण?
राम जन्मभूमि शिलान्यास के इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में सिख, बौद्ध, जैन, आर्य समाजी, मुस्लिम सभी धर्मों के लोग आ रहे हैं.निमंत्रण पत्र पर एक सिक्योरिटी कोड है. यह सिक्योरिटी कोड केवल एक बार ही काम करेगा.
नई दिल्ली: राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम के ऐतिहासिक मौके पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुईं हैं. हर कोई इस कार्यक्रम से जुड़ी हर छोटी से छोटी बात भी जानना चाहता है, ऐसे में हम आपको बताते हैं इस कार्यक्रम की हर वो बात, जिसे आप जानना चाहते हैं. इस कार्यक्रम में पूरे भारत की 36 अध्यात्मिक परंपराओं के 135 संतों को बुलाया गया है, ये अध्यात्मिक परंपराएं लगभग भारतवर्ष के भूगोल का एक हिस्सा हैं.
नेपाल से भी प्रतिनिधि आएंगे. जनकपुर से अयोध्या का रास्ता है, इसलिए जानकी महल से भी प्रतिनिधि आएंगे. संतों को बुलाया है. कुछ लोग संतों को ही दलित कहते हैं, जबकि संत कोई दलित नहीं होता, जब साधु बनें तो भगवान के भक्त हैं, तब भी कई लोग साधुओं को दलित कहते हैं. संत महात्मा मिलाकर कुल पौने दो सौ लोग इस कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. इकबाल अंसारी को भी न्योता दिया है. मोहम्मद शरीफ को भी बुलाया है, जो लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करते हैं. शरीफ अब तक 10,000 लाशों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं. भारत सरकार ने उनको पद्मश्री दिया है और इसी वजह से उनको बुलाया है.
कैसा है निमंत्रण पत्र निमंत्रण पत्र पर एक सिक्योरिटी कोड है. यह सिक्योरिटी कोड केवल एक बार ही काम करेगा. इस निमंत्रण पत्र को लेकर किसी व्यक्ति ने प्रवेश किया और किसी आवश्यक काम से बाहर आ गया, तो दोबारा इस निमंत्रण पत्र से कार्यक्रम स्थल पर प्रवेश नहीं कर पाएगा, किसी भी प्रकार के बैग और इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट की अनुमति कार्यक्रम स्थल पर नहीं होगी. कैमरा और मोबाइल भी अंदर ले जाने की मनाही होगी.
साफ किया गया है कि भगवान कौन से कपड़े पहनेंगे हरे पहनेंगे या भगवा पहनेंगे, इसका संबंध प्रधानमंत्री कार्यालय से नहीं है. मुख्यमंत्री कार्यालय से भी नहीं है. परंपरा से पुजारी प्रत्येक दिन जिस रंग के कपड़े निर्धारण करते आ रहे हैं और उनका वह स्टाइल तय है और उसमें वह किसी से प्रभावित होकर कोई परिवर्तन नहीं करते हैं.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सचिव चंपत राय कहते हैं, "जो पेड़ हरे दिखाई दे रहे हैं, यह क्या आपको इस्लाम दिख रहा है? यह हिंदुस्तान की समृद्धि का प्रतीक है, हरा रंग समृद्धि का प्रतीक है. प्रकृति का रंग है. अगर डॉक्टर कहे आप हरी सब्जी खाओ तो क्या आप इस्लाम खा रहे हैं ? यह बेहूदी बातें हैं. रंग पर चर्चा करना, यह बुद्धि का दिवालियापन है. बुद्धि की विकलांगता का प्रतीक है. जिनके पार्क में हरियाली नहीं होती वह अपने घर की छतों पर हरियाली लगाते हैं, जिनका जन्म हिंदुस्तान की मिट्टी में हुआ है, उन जैसे लोगों को बेतुकी बातों को आगे नहीं बढ़ाना चाहिए."
अप्रैल से देवताओं के आह्वान के लिए पूजा अर्चना की शुरुआत की गई. एक हजार बार प्रभु हनुमान के नाम की आहुतियां हुईं. एक हज़ार बार ही राम की आहुतियां हुईं और 18 अप्रैल से 5 अगस्त 108 दिन हो रहे हैं. जहां भी रामलला विराजमान हैं, वहां रामर्चा का पाठ होगा और जहां पर भूमि पूजन होना है, वहां हनुमान जी की ध्वजा पूजा-अर्चना होगी.
डाक टिकट का अनावरण करेंगे पीएम मोदी उत्तर प्रदेश सरकार ने मंदिर के नए मॉडल का डाक टिकट जारी किया है, जिसका अनावरण प्रधानमंत्री करेंगे. मंच पर सिर्फ पांच लोग होंगे, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सरसंघचालक, राज्यपाल आनंदी बेन और ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास.
शृंगेरी पीठ के शंकराचार्य ने पंचधातु का कमल भेजा है. सैकड़ों लोगों ने अपने घर से गाय का घी भेजा है. साथ ही 100 से ज्यादा लोगों ने एक-एक सीट के चांदी के नाग नागिन का जोड़ा भेजा है. पटना के महावीर स्वामी मंदिर के प्रमुख ने दो करोड़ रुपये दिए हैं. चार-पांच लाख रुपये खाते में सीधे ट्रांसफर हो रहा है.
मंदिर का नक्शा प्राधिकरण से पास कराया जाएगा, ट्रस्ट उसकी फीस भी भरेगा. विकास प्राधिकरण की तरफ से नक्शा और पुनर्विकास की फीस ली जाएगी, इसका भुगतान ट्रस्ट करेगा.
ट्रस्ट ने उन लोगों के परिवार के लोगों को शिलान्यास समारोह में बुलाया है, जिन लोगों की राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान मुलायम सिंह के शासनकाल में नवंबर 1990 में पुलिस की गोली से मौत हो गई थी. रामचरण गुप्ता की पत्नी अयोध्या में रहती हैं. इसलिए बुलाया है. इसके अलावा कोलकाता से कोठारी ब्रदर्स के परिवार से पूर्णिमा कोठारी को बुलाया है. ट्रस्ट का कहना है कि बाकी सभी लोगों को बुलाना संभव नहीं था.
ट्रस्ट की ओर से चंपत राय ने तमाम राम भक्तों और हिंदू समाज से अपील की है, "पूजा- भजन -कीर्तन और शाम को दीपोत्सव आनंद बनाना है, लेकिन किसी को चिढ़ाने के लिए नहीं, किसी को दुखी करने के लिए नहीं करना, जब निर्णय आने वाला था, तब भी हमने नवंबर 2019 में तय किया कि हिंदू समाज इसे सामान्य घटना के रूप में लेगा, किसी को चिढ़ाना नहीं है."
राम जन्मभूमि शिलान्यास के इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में सिख, बौद्ध, जैन, आर्य समाजी, मुस्लिम सभी धर्मों के लोग आ रहे हैं.
निमंत्रण क्यों रद्द हुआ?
कोरोना संकट, अधिक आयु और चातुर्मास की वजह से कई लोगों के निमंत्रण रद्द कर दिए गए हैं. इसको लेकर चंपत राय ने बताया "अनेक लोगों को कष्ट होगा कि हमें क्यों नहीं बुलाया. ऐसे लोगों से हमने व्यक्तिगत रूप से फोन करके माफी मांगी है. आयु का भी ध्यान रखा गया है. इतनी आयु में लोग आएंगे. चेन्नई से लोग कैसे आएंगे. आडवाणी जी कैसे आएंगे. कौन सा रास्ता है. इसलिए हमने सभी की आयु, सब के प्रति श्रद्धा और आधार का ध्यान रखते हुए सूची बनाई है. चातुर्मास का भी खयाल रखा है. हम किसी को चातुर्मास छोड़ने के लिए बाध्य नहीं कर सकते. यह दंडी स्वामी है, उनके लिए विशेष महत्व होता है."
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष महामंडलेश्वर गोविंद गिरी जी महाराज ने कहा, "वाराणसी के ज्योतिष गणेश शास्त्री जी से शुभ कार्य के मुहूर्त के बारे में बातचीत की गई, हमने कभी भी शिलान्यास शब्द का इस्तेमाल नहीं किया, क्योंकि वह पहले ही हो चुका है. हां प्रतीकात्मक शिलान्यास होगा. पंच धातु से बने हुए कमल पर असली रत्न से उस कमल के ऊपर शंकु बना कर गर्भगृह के नीचे स्थापित किया जाएगा. भूमि पूजन का कार्यक्रम मुख्य रूप से अशोक सिंघल के भतीजे सलिल सिंघल की जजमानी में संपन्न होगा.
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