भगवान राम से जुड़ी अनेकों कहानियों सदियों से लोग सुनते आ रहे हैं, लेकिन इनमें से कुछ कहानियां ऐसी होती हैं, जो बेहद खास होती हैं, लेकिन बड़ी घटनाओं और चरित्रों के कारण वह दबकर रह जाती हैं. अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त को होने वाले भूमि पूजन के अवसर पर एक ऐसी ही कहानी है, जिसके बारे में आपने सुना जरूर होगा, लेकिन अक्सर इसका जिक्र रह जाता है.


रामायण में इस घटना का जिक्र बेहद खास है. यह घटना उस वक्त की है जब माता सीता को रावण की लंका से छुड़ाने के लिए समुद्र पर सेतु निर्माण किया जा रहा था. नल-नील के नेतृत्व में वानर सेना अपनी पूरी ताकत और मेहनत से सेतु निर्माण में लगी थी, तो वहां मौजूद अन्य जानवर भी इस काम में हाथ बंटा रहे थे.


मदद के लिए आगे आई गिलहरी


इन्हीं में से थी एक नन्हीं गिलहरी. गिलहरी भी इस पवित्र काम में अपना सहयोग करना चाहती थी, लेकिन अपने छोटे शरीर और कम ताकत की वजह से वो मदद नहीं कर पा रही थी. फिर उसे एक तरकीब सूझी. वह तट पर मौजूद रेत में लोटती, जिससे रेत उसके शरीर में लग जाती और फिर सेतु निर्माण वाली जगह पर समुद्र में उस रेत को बहा देती.


ऐसा करने से रेत पत्थरों के बीच जा रही थी, जो उन्हें चिपकाने में सहायता कर रही थी. हालांकि, इस दौरान वह लगातार वानरों के पैरों के बीच से जा रही थी और इससे वानरों को परेशानी हो रही थी. ऐसे में वानर सेना ने उससे पूछा कि वह क्यों परेशान कर रही है. गिलहरी का कारण जानने पर वह हंस पड़े.


वानरों ने किया लज्जित, श्री राम ने दिया प्यार


इसी दौरान एक वानर ने गिलहरी को पकड़कर हवा में उछाल दिया. प्रभु राम यह दृश्य देख रहे थे और इसी दौरान गिलहरी उनके हाथों में आ गिरी. अपने सामने राम को देखकर गिलहरी बेहद खुश हुई. इसके बाद भगवान राम ने वानर सेना को कहा कि उन्होंने गिलहरी को क्यों लज्जित किया, जबकि वह उनकी मदद कर रही है.


श्री राम से कारण जानने के बाद वानरों ने गिलहरी से माफी मांगी. वहीं भगवान राम ने भी गिलहरी से इस घटना के लिए क्षमा मांगी और उसके प्रयासों की प्रशंसा की. इसके बाद राम ने गिलहरी को सहलाते हुए उसकी पीठ पर अपनी उंगलियां फेरीं, जिससे उसकी पीठ पर तीन काली पट्टियां बन गईं, जो इसके बाद सभी गिलहरियों में पाया जाने लगा. इसे भगवान राम का प्रतीक माना जाता है.


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