Ramlala Pran Pratishtha: अयोध्या में राम मंदिर में भगवान रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए चल रही तैयारियों के बीच दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की कुलपति शांतिश्री डी पंडित ने भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. जेएनयू की वीसी ने अपने प्लान के बारे में भी बताया है कि वह 22 जनवरी का कैसे सेलिब्रेट करेंगी.


राम मंदिर को लेकर शांतिश्री पंडित ने शुक्रवार (12 जनवरी) को न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, ''राम मंदिर आंदोलन प्रत्येक भारतीय के आत्मगौरव और स्वाभिमान का आंदोलन है. यह प्रत्येक मनुष्य और विशेषकर भारतीयों के लिए भारतीय सभ्यता और भारतीय पहचान का पुनरुत्थान है.''


उन्होंने कहा, ''भगवान राम अनेकता में एकता के प्रतीक हैं, हालांकि मैं तमिलनाडु से आती हूं, मेरे लिए और यहां तक कि दक्षिण-पूर्व एशिया में भी राम का वही अर्थ है.''






शांतिश्री डी पंडित से जब यह पूछा गया कि 22 जनवरी का दिन वह मनाएंगी तो उन्होंने कहा, ''मैं मेरे घर में सेलिब्रेट करूंगी.'' इसी के साथ उन्होंने कहा, ''एक नागरिक, एक शिक्षाविद् के रूप में मुझे अपनी सभ्यता पर गर्व है क्योंकि यह महानतम सभ्यताओं में से एक है.''


जेएनयू की वीसी ने बताया राम मंदिर का निर्माण क्यों महत्वपूर्ण है


न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, शांतिश्री डी पंडित ने भगवान राम को एकजुट करने वाली शक्ति करार देते हुए कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भारत के सभ्यतागत इतिहास के साथ सामंजस्य बैठाने के लिए महत्वपूर्ण है और यह देश में एक आदर्श बदलाव लाएगा. उन्होंने ऐसा माहौल बनाने की भी वकालत की, जहां किसी को भी किसी अन्य के मत/मजहब का अपमान नहीं करना चाहिए.


उनकी यह टिप्पणी उस घटना के कुछ हफ्ते बाद आई है, जिसमें विश्वविद्यालय परिसर की दीवारों पर बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण से संबंधित भित्तिचित्र बनाए गए थे और नारे लिखे गए थे. उन्होंने ‘पीटीआई वीडियो सेवा’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि विश्वविद्यालय इस घटना के बाद धार्मिक ‘असहिष्णुता’ की घटनाओं से बचने के लिए परिसर में सुरक्षा उपाय बढ़ाने को लेकर कदम उठा रहा है.


'राम मेरे लिए एकात्मकता के प्रतीक'


अयोध्या में रामलला के ‘प्राण-प्रतिष्ठा’ समारोह के बारे में उन्होंने कहा, ''राम मेरे लिए एकात्मकता के प्रतीक हैं. राम पूरे देश के लिए एकात्मकता के प्रतीक हैं. राम मंदिर का निर्माण भारत के सभ्यतागत इतिहास के साथ सामंजस्य बिठाने के लिए महत्वपूर्ण है.'' उन्होंने कहा, ''मुझे लगता है कि यह एक आदर्श बदलाव है. अगर मुझे अपनी विविधता के बावजूद अपने देश के साथ एकात्म महसूस करना है, तो ये प्रतीक (राम) ही हैं जो हमें एक साथ लाएंगे.''


(भाषा इनपुट के साथ)


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