Ramlala Prana Pratishtha: बाबरी विध्वंस के दौरान पुलिस की गोली का शिकार हुए कोठारी ब्रदर्स की बहन पूर्णिमा कोठारी को राम मंदिर कार्यक्रम के लिए निमंत्रण मिला है. उन्होंने कहा कि जीवन के 33 साल में यह पहली सबसे बड़ी खुशी है.


उन्होंने कहा, "ऐसा कहूं कि सातवें आसमान पर हूं, वो भी कम लगेगा. 33 साल पहले मेरे भाइयों के साथ जो कुछ हुआ, मैं उसे कभी नहीं भूली हूं. हमने अपने भाइयों के बलिदान के बाद 33 साल तक इंतजार किया और अब हम बहुत खुश हैं."


भाइयों के बलिदान को मिला सम्मान
एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, "आज हम अपनी आंखों के सामने भव्य राम मंदिर देख पा रहे हैं, लेकिन एक समय, हमने सारी उम्मीदें खो दीं थी. मैंने सोचा कि मैं इसे कभी नहीं देख पाऊंगी. मुझे खुशी और गर्व है मेरे भाइयों के बलिदान को आज उचित सम्मान मिल रहा है."


पूर्णिमा कोठारी ने कहा, "अपने माता-पिता के साथ हमने भी एक संकल्प लिया था कि जब तक रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण कार्य नहीं हो जाता है. कोई भी आह्वान होगा उसमें सर्वस्व लगाऊंगी. ठाकुर जी की यह कृपा रही कि आज बाबरी ढांचे से लेकर भव्य मंदिर का सफर मैंने अपनी आखों से देखा है. माता और पिता के गुजरने के बाद मुझे भी ऐसा लग रहा था कि मैं भी राम मंदिर को बनते नहीं देख पाऊंगी."


अब देश का माहौल है अच्छा- पूर्णिमा कोठारी
पूर्णिमा कोठारी से जब पूछा गया कि क्या उन्होंने कभी सोचा था कि उनके भाइयों का बलिदान व्यर्थ चला गया? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, हां, 2014 से पहले ऐसा महसूस होता था, क्योंकि जब भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाए गए थे, तब राम भक्तों को भी अराजक माना गया था.


स्वामी प्रसाद मौर्य ने हाल ही में कहा था कि ये अराजक तत्व हैं. हमारी उम्मीदें बहुत कम हो गई थी, लेकिन अब देश का माहौल बहुत अच्छा है. मुझे आज यहां आकर बहुत गर्व हो रहा है."


मेरे भाई को जान से क्यों मारा?- पूर्णिमा कोठारी
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि उस समय सरकार का गोली चलाना न्यायोचित था. इस सवाल पर उन्होंने कहा, "अगर उन्हें गोली चलानी थी तो उनके पैरों में गोली मारनी चाहिए थी, आपको उन्हें रोकना था, उन्हें जान से नहीं मारना था. उन्होंने मेरे भाई को जान से क्यों मारा? 


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