क्या रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर शंकराचार्यों में मतभेद है? निश्चलानंद सरस्वती ने साफ किया रुख
Ram Mandir Opening: चार शंकराचार्यों के बीच मतभेदों की खबरों पर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा शास्त्रों में बताए नियमों के मुताबिक होनी चाहिए.
Ramlala Pran Pratishtha: पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर शंकराचार्यों के बीच मतभेदों की खबरों का खंडन किया है. उन्होंने शनिवार (13 जनवरी) को कहा कि राम मंदिर को लेकर चारों शंकराचार्यों में कोई मतभेद नहीं है. यह सरसार झूठ है.
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि श्रीराम यथास्थान प्रतिष्ठित हों, यह जरूरी है. यह भी जरूरी है कि प्राण प्रतिष्ठा शास्त्रों में बताए गए नियमों के अनुसार होनी चाहिए, क्योंकि जो प्रतिमा होती है, उसमें विधिवत सन्निवेश होता है. निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि किसी भी शंकराचार्य के बीच कोई मतभेद नहीं है. ऐसी सूचनाएं और अटकलें बेबुनियाद हैं. मतभेद की सूचना प्रामाणिक नहीं है.
'शास्त्र विधि से हो प्राण प्रतिष्ठा'
निश्चलानंद सरस्वती ने बताया कि पूजा पद्धति और शास्त्रों का पालन न होने की सूरत में चारों दिशाओं के साथ-साथ, भूत-प्रेत, पिशाच जैसी शक्तियों का नकारात्मक प्रभाव होने की आशंका रहती है. इसलिए शास्त्र विधि से ही भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा होनी चाहिए. पूजा-पाठ भी वेद-शास्त्र के मुताबिक होना चाहिए.
दो शंकराचार्यों ने किया स्वागत
इससे पहले चार मठों के शंकराचार्यों के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल न होने की खबर आई थी. इसके बाद विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने शुक्रवार (12 जनवरी) को कहा कि चार में से दो शंकराचार्यों ने राम मंदिर में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह का खुले तौर पर स्वागत किया है.
प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होंगे शंकराचार्य
वीएचपी नेता ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले भव्य कार्यक्रम में कोई भी शंकराचार्य शामिल नहीं होगा. उन्होंने यह भी बताया कि ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने इस संबंध में कुछ टिप्पणियां की हैं. उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह सही नहीं है क्योंकि अभी इसका निर्माण पूरा नहीं हुआ है.
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