'सोमनाथ मंदिर के निर्माण के बीच ही हुई थी प्राण प्रतिष्ठा', बोले जानकी घाट के राजकुमार दास महाराज
Ram Mandir: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में शंकराचार्यों के नहीं आने को लेकर जानकी घाट के राजकुमार दास महाराज ने खुलकर अपनी बात रखी. उन्होंने सोमनाथ मंदिर का हवाला देते हुए राम मंदिर पर अपनी बात कही.
Ramlala Pran Pratishtha: आगामी 22 जनवरी को अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में रामलला के 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह को लेकर मंगलवार (16 जनवरी) से पूजा अर्चना शुरू हो जाएगी. प्राण प्रतिष्ठा समारोह के परिप्रेक्ष्य में अयोध्या स्थित राम वल्लभा कुंज, जानकी घाट के राजकुमार दास महाराज ने भगवान सोमनाथ मंदिर का उदाहरण देकर सभी को इस महा उत्सव का भागीदार बनने का आह्वान किया है.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, राजकुमार दास महाराज ने कहा कि सोमनाथ ट्रस्ट की ओर से प्रभाष तीर्थ दर्शन पुस्तक प्रकाशित की गई है. इस पुस्तक का अवलोकन करना चाहिए. देश के लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) ने मंदिर के जब दर्शन किए तो उसकी जीर्ण स्थिति को देखने के बाद व्यथित हुए और एक सभा बुलाकर मंदिर के जीर्णोद्धार का निर्णय लिया.
महाराज ने बताया कि इसके बाद सोमनाथ मंदिर का भूमि पूजन 1950 में हुआ था. देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 1951 में मंदिर में भगवान सोमनाथ की प्राण प्रतिष्ठा की थी.
मंदिर के शिखर पर 1965 में हुई कलश स्थापना
इसके बाद मंदिर का निर्माण चलता रहा और गर्भगृह का निर्माण पूरा हो गया. मंदिर के शिखर पर स्थापित होने वाले कलश की स्थापना 1965 में की गई. महाकुंभ महोत्सव हुआ. इसलिए विरोध करने वाले लोगों को उससे संबंधित पुस्तक को पढ़ने की आवश्यकता है. मंदिर के दर्शन करने के लिए लोगों को वहां जाना चाहिए.
'विरोध करने वालों का बोधपूवर्क होना जरूरी'
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का विरोध करने वालों को लेकर महाराज ने कहा कि केवल विरोध के लिए, विरोध करना है, ऐसा कुछ लोगों ने अपने दिमाग में बनाया हुआ है जोकि सही नहीं है. विरोध करें लेकिन बोधपूवर्क विरोध हो. उन्होंने राम मंदिर के महा महोत्सव में सभी के शामिल होने का आह्वान किया और इसका आनंद मनाने का आग्रह भी किया.
#WATCH | On the 'Pran Pratistha' Ceremony of Ram temple to be held in Ayodhya, Rajkumar Das Maharaj, Ram Vallabha Kunj, Janki Ghat, Ayodhya says, "Pran Pratistha of Somnath Temple was held in 1951 and the construction of the temple was continued. In 1965, 'Kalash' was placed… pic.twitter.com/zuxOcDDaPv
— ANI (@ANI) January 15, 2024
'विरोध करके मंथरा की स्थिति कायम नहीं करें'
विरोध व आलोचना करने वालों के लिए महाराज ने कहा कि वो ऐसा करके अपने पर 'मंथरा' की स्थिति को कायम नहीं करें. इतिहास उन सभी लोगों को भी याद करेगा जो राम मंदिर को लेकर विघ्न व विरोध कर रहे हैं. इसलिए विरोध का उदाहरण बनने से बचना चाहिए.
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