रामलला प्राण प्रतिष्ठा के दिन छुट्टी का विरोध! कानून की पढ़ाई करने वाले 4 छात्र पहुंचे कोर्ट, कल होगी सुनवाई
Ram Lalla Pran Pratishtha: एक तरफ पूरे देश में राम मंदिर उद्घाटन को लेकर उत्साह का माहौल है, वहीं कुछ राजनीतिक दल और शंकराचार्य इसका विरोध भी कर रहे हैं.
Ram Mandir Inauguration: अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला प्राण प्रतिष्ठा का भव्य कार्यक्रम होने जा रहा है. इस कार्यक्रम के मद्देनजर कई राज्यों में छुट्ठी की घोषणा की गई है, जबकि केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों को आधे दिन का अवकाश दिया है. इसी क्रम में महाराष्ट्र सरकार ने भी छुट्टी की घोषणा की तो लॉ की पढ़ाई करने वाले 4 छात्र मामले को लेकर कोर्ट पहुंच गए, जिस पर कल रविवार (21 जनवरी) सुनवाई होनी है.
लाइव लॉ के मुताबिक, बॉम्बे हाई कोर्ट की एक विशेष पीठ रविवार सुबह साढ़े दस बजे इन 4 छात्रों की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करने वाली है. इन चारों छात्रों के नाम शिवांगी अग्रवाल, सत्यजीत सिद्धार्थ साल्वे, वेदांत गौरव अग्रवाल और संदीप बांगियां हैं. मामले की सुनवाई के लिए जस्टिस जीएस कुलकर्णी और नीला गोखले की विशेष पीठ का गठन किया गया है.
महाराष्ट्र सरकार के आदेश का विरोध
महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार (19 जनवरी) को एक आदेश जारी कर 22 जनवरी को राज्य में सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि किसी धार्मिक कार्यक्रम को मनाने के लिए सार्वजनिक अवकाश घोषित करना संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन है. कानून के छात्रों ने तर्क दिया कि कोई राज्य किसी भी धर्म के साथ जुड़ नहीं सकता या उसे बढ़ावा नहीं दे सकता.
याचिका में छात्रों ने क्या कहा?
लाइव लॉ के मुताबिक याचिका में कहा, “एक हिंदू मंदिर की प्रतिष्ठा का जश्न मनाने, उसमें खुले तौर पर हिस्सा लेने और इस तरह एक विशेष धर्म से जुड़ने का सरकार का ये कृत्य धर्मनिर्पेक्षता के सिद्धातों पर सीधा हमला है.”
इसमें आगे कहा गया, “सार्वजनिक छुट्टियों की घोषणा के संबंध में कोई भी नीति सत्ता में आसीन राजनीतिक दल की सनक और इच्छा पर आधारित नहीं हो सकती. छुट्टी की घोषणा शायद किसी देशभक्त को व्यक्तिगत रूप से याद करने के लिए या ऐतिहासिक शख्सियत की याद में की जा सकती है लेकिन समाज के एक विशेष वर्ग या धार्मिक समुदाय को खुश करने के लिए रामलला की प्रतिष्ठा का जश्न मनाने के लिए नहीं.”
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