Ram Mandir Inauguration Row: उत्तर प्रदेश (यूपी) के अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर संतों के बीच फिलहाल जुबानी संग्राम छिड़ा है. मंदिर में 22 जनवरी, 2024 को होने वाले कार्यक्रम को लेकर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के बयान पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरी ने कहा है कि उन लोगों को उनके शंकराचार्य होने को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है. जो लोग शास्त्र की बात कर रहे हैं, वे आपत्ति बताएं...उन्हें बताया जाएगा कि प्राण-प्रतिष्ठा कैसे हो सकती है. शास्त्र को नहीं जानने वाले ही उसका नाम लेकर ऐसी बात करते हैं. 


रविवार (14 जनवरी, 2024) को उन्होंने ये बातें ज्योतिष पीठ के नए शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के उस बयान पर कहीं, जिसमें वह बोले थे कि 'आधे-अधूरे मंदिर में भगवान की स्थापना न्यायोचित और धर्मसम्मत नहीं है.' एबीपी के पत्रकार अखिलेश आनंद की ओर से इसी को लेकर सवाल दागा गया था कि आपको अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के इस बयान में धर्म अधिक नजर आता है या फिर राजनीति का टच ज्यादा दिखता है? 



Ramlala की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर कह दी यह बात


स्वामी गिरी ने जवाब दिया, "उनके (अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती) शंकराचार्य होने के बारे में ही हम लोगों को कोई स्पष्टता नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य तो हमारे वासुदेवानंद सरस्वती हैं, जो न्यास के पूज्य न्यासी हैं. वही हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं. ऐसे में जो वहां पर बैठकर शास्त्र की बात करते हैं, वह शास्त्र में ऐसा कुछ दिखा दें कि इस तरह से रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा नहीं हो सकती है. मैं उन्हें तब बता दूंगा कि प्रतिष्ठा कैसे हो सकती है."


"21 जनवरी के पहले आइए, हमें सुधार बताइए..."


राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष के मुताबिक, "सामान्य लोग शास्त्र को नहीं जानते हैं. शास्त्र को नहीं जानने वाले इसका नाम लेकर ऐसी बातें करते हैं. हम लोग सारे प्रमाण रखकर काम में लगे हुए हैं." उन्होंने इसके अलावा एक अन्य शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती की टिप्पणी को लेकर बताया- उनके लिए मेरे मन में अपार आदर है. हम लोग जो काम करे हैं, वह शास्त्र के अनुसार है या नहीं?...यह पता करने के लिए वह 21 जनवरी के पहले आएं, देखें और बताएं. हम उनके मार्गदर्शन को स्वीकार करेंगे.