Haji Gul Mohammad Mansuri aka Gullu Ram: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बने राम मंदिर के पीछे कारसेवकों का भी अहम योगदान है. ऐसे ही कारसेवकों में कुछ मुस्लिम भी थे, जिन्हें रामकाज के लिए अपने ही समुदाय के लोगों की खरी-खोटी सुननी पड़ी थी. यहां तक कि उनके खिलाफ फतवा तक जारी हुआ और उनका निकाह भी टूट गया था. यह कहानी हाजी गुल मोहम्मद मंसूरी की है, जिन्हें प्यार में लोग 'गुल्लू राम' कहते थे. 


'गुल्लू राम' को 22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में होने वाले भव्य कार्यक्रम के लिए न्योता तो नहीं मिला है मगर उन्होंने इस पावन मौके से पहले अपने अनुभव से जुड़ी यादें जरूर साझा की हैं. रविवार (14 जनवरी, 2024) को जयपुर में 'राजस्थान तक' से बातचीत में उन्होंने बताया, "पार्टी के आदेश पर हम लोग वहां तब की पोजीशन देखने गए थे कि वहां मंदिर है या मस्जिद है. हम लोग जब पहुंचे तो वहां लोगों ने निर्माण को तोड़ना चालू कर दिया. आगे माहौल बिगड़ते देख हम लोग वहां से निकल गए."


'RSS की ड्रेस में तब पहुंच गए थे 400 लोग'


बाबरी मस्जिद विध्वंस से जुड़े सवाल पर गुल्लू राम ने दावा किया- हमें महसूस हुआ था कि हमारी पार्टी के अलावा तब वहां पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पोशाक में 300 से 400 लोग लोग पहुंच गए थे. ऐसा बताया गया था कि वे महाराष्ट्र से आए थे. उनमें से एक-दो लोग ढांचे पर चढ़ गए थे और इसके बाद सब (भीड़) लग गए. ऐसा कहा जाता है कि वे सारे कार्यकर्ता महाराष्ट्र में उस जगह से आए थे, जहां पर एक बार भूकंप आया था. हालांकि, वे बीजेपी के नहीं थे.


Muslim लोग ही मेरी प्रसिद्धि से जलते थे- गुल्लू राम


मो.मंसूरी तब ढांचे पर नहीं चढ़े थे लेकिन उनके खिलाफ फतवा जारी कर दिया गया था. उनसे इस बारे में जब पूछा गया तो जवाब आया, "लोग ये देखते हैं कि फलां आदमी क्यों प्रसिद्ध हो गया, क्यों विधायक बन गया और क्यों आगे आ गए? चूंकि, मैं तब मुस्लिम समाज का राजस्थान में अध्यक्ष भी था. कहने का मतलब है कि लोगों की जलन अधिक थी. वे जलते थे और वे यही सब करते थे."


Islam से कर दिए गए थे खारिज


आगे फतवे से जुड़ा ब्यौरा देते हुए उन्होंने जानकारी दी- कैथून के एक मुफ्ती के यहां से फतवा जारी हुआ था, जिसे लाने वाले हमारे मिलने वाले थे. वह हमसे रंजिश रखते थे. वह इस बात से कुढ़ते थे कि इस आदमी (मेरा) का इतना नाम कैसे हो गया. उन्होंने तब कह दिया था कि मैं इस्लाम से खारिज कर दिया गया हूं.


Nikah तक टूट गया था और फिर...


'गुल्लू राम को फिर से गुल मोहम्मद मंसूरी बनने के लिए क्या करना पड़ा?' यह पूछे जाने पर वह बोले, "उन्होंने कहा था कि मेरा निकाह टूट गया है. चूंकि, उनके हिसाब से मैं तब इस्लाम में नहीं था. ऐसे में कहा गया था कि मुझे फिर से निकाह पढ़ना पड़ेगा और कलमा भी पढ़ना पड़ेगा. हमने इसके बाद उसे फिर पढ़ा."


'बीवी से फोन कॉल्स पर होती थी बदतमीजी'


मुस्लिम कारसेवक ने खुलासा किया कि उनके पास तब कम से कम साढ़े चार हजार कॉल आए थे, जिन पर लोगों उनकी फैमिली के साथ अश्लीलता और बदतमीजी करते थे. उन्होंने बताया- मेरे घर पर तब लैंडलाइन फोन हुआ करता था. चूंकि, पत्नी हरदम घर पर रहती थीं और वही फोन पिक किया करती थीं लिहाजा उन्हीं को कॉलर्स की भद्दी-भद्दी गालियां सुननी पड़ती थीं. 


कौन होते हैं Kar Sevak?
दरअसल, जो लोग किसी धार्मिक काम या फिर संस्था के लिए नि:स्वार्थ और नि:शुल्क अपनी सेवाएं देते हैं, उन्हें कारसेवक कहा जाता है।