Ram Mandir Inauguration: तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन समारोह को राजनीतिक कार्यक्रम कहने पर डीएमके सांसद टीआर बालू की आलोचना की. राज्यपाल ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने में विपक्ष की अनिच्छा के पीछे के उद्देश्यों पर सवाल उठाते हुए उन पर इस खास दिन का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया.


राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने सोमवार (15 जनवरी) को कहा, ''वे इसमें भाग नहीं ले रहे, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह एक राजनीतिक उत्सव है. निमंत्रण के बावजूद, वे इसमें शामिल नहीं हो रहे हैं. यह भगवान का उत्सव है, यह प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक लंबा सपना है." उन्होंने ऐतिहासिक उदाहरणों का हवाला दिया, जिसमें मंदिरों के निर्माण और उत्सव में तमिल राजाओं और सम्राटों की भागीदारी भी शामिल थी.


तमिल संस्कृति की दिलाई याद


तमिलिसाई सुंदरराजन ने कहा, "सभी तमिल राजाओं और सम्राटों ने मंदिरों का निर्माण किया, भले ही मंदिर पुजारियों की ओर से बनाया गया हो, यह राजा ही थे जिन्होंने इसे शुरू किया और सबसे पहले त्योहारों को भी आगे बढ़ाया. 'कुंभाभिषेकम' की शुरुआत उनकी ओर से ही की गई थी. जब तमिल संस्कृति ऐसी ही रही है, फिर वे प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में शामिल होने पर आपत्ति कैसे कर सकते हैं. यह उनका राजनीतिकरण है.''


क्या कहा था टीआर बालू ने?


बता दें कि डीएमके सांसद टीआर बालू ने 22 जनवरी को आयोजित होने वाले प्राणप्रतिष्ठा समारोह के बारे में आपत्ति व्यक्त की थी और कहा था कि इसका इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है. टीआर बालू ने कहा था, "अयोध्या राम मंदिर का उद्घाटन कोई आध्यात्मिक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह एक राजनीतिक कार्यक्रम है. 2014 में सत्ता में आने के बाद से भाजपा ने अपने चुनावी वादे पूरे नहीं किए हैं. पार्टी को अपने वादे पूरे न करने का कोई मलाल नहीं है. ये सरकार अयोध्या में भगवान राम मंदिर के निर्माण को अपनी उपलब्धि के रूप में दिखाकर लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है.''


डीएमके सांसद ने की थी बीजेपी की निंदा 


टीआर बालू ने आगे कहा था कि "भक्ति को राजनीतिक कारणों और वोट बैंक के लिए इस्तेमाल करना भारत की संप्रभुता और संविधान के खिलाफ है. यह देश के भविष्य के लिए भी अच्छा नहीं है. यह निंदनीय है कि बीजेपी एक मंदिर कार्यक्रम का इस तरह इस्तेमाल कर रही है."


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