Ram Mandir Ayodhya Pran Pratistha: अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन हो चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद जैसे ही इस मंदिर का उद्घाटन किया, वैसे ही कार्यक्रम में शामिल सभी मेहमानों के चेहरे खिल उठे. वहीं, कुछ मेहमान भगवान राम के बालस्वरूप को देखकर भावुक हो गए. ऐसे ही नेताओं में बीजेपी की वरिष्ठ नेता उमा भारती और साध्वी ऋतंभरा थीं जो उस क्षण भावुक हो गई थीं. दोनों ने गले लगकर एक-दूसरे को बधाई दी.
इस दौरान साध्वी ऋतंभरा थोड़ा भावुक भी दिखीं लेकिन दूसरे ही पल चेहरे पर एक सुकून भी था जो रामलला के अपने धाम आने को लेकर था. राम मंदिर के आंदोलन में इन दोनों का भी अहम योगदान रहा है. दोनों ने 1992 में कार सेवा की थी.
कौन हैं उमा भारती?
उमा भारती बीजेपी की वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश की पूर्व सीएम रही हैं. उमा साध्वी हैं और साध्वी के रूप में ही राजनीति में एंट्री की थी. बीजेपी से जुड़ने के बाद उमा भारती 1984 में पहली बार चुनाव लड़ीं और हार गईं. 1989 के चुनावों में उन्हें जीत मिली. वर्ष 1991 में वह खुजराहो लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर मैदान में उतरीं और जीत हासिल की. इसके बाद वह लगातार तीन बार इस सीट पर जीतीं. 1999 में भोपाल सीट से उम्मीदवार बनीं और यहां भी जीत हासिल की. वाजपेयी सरकार में उमा भारती ने कई मंत्रालय संभाले. वर्ष 2003 में उमा भारती मध्य-प्रदेश की सीएम चुनी गईं.
कौन हैं साध्वी ऋतंभरा
साध्वी ऋतंभरा का जन्म पंजाब के लुधियाना स्थित दोराहा में हुआ था. बचपन में इनका नाम निशा था. महज 16 वर्ष की उम्र में हरिद्वार के गुरु परमानंद गिरी से दीक्षा लेकर यह साध्वी बन गईं और इनका नया नाम ऋतंभरा रखा गया. ऋतंभरा राम कथा कहती हैं.
राम जन्म भूमि के लिए दोनों का संघर्ष
राम जन्म भूमि के लिए उमा भारती के संघर्ष की बात करें तो इन्होंने साध्वी ऋतंभरा के साथ मिलकर अयोध्या मसले पर आंदोलन शुरू किया. इसके अलावा जुलाई 2007 में रामसेतु को बचाने के लिए भी उमा भारती ने आंदोलन किया. वहीं, साध्वी ऋतंभरा की बात करें तो 1980 के दशक में साध्वी ऋतंभरा राम मंदिर आंदोलन का प्रमुख चेहरा बन गईं थीं. तब इन्होंने हिंदू जागृति अभियान की कमान संभाली थी. 6 दिसंबर, 1992 को जब अयोध्या में विवादित ढांचा गिराया गया तब साध्वी ऋतंभरा वहीं पर थीं. बाबरी विध्वंस के लिए 68 नामजद आरोपियों में इनका भी नाम था.
ये भी पढ़ें