Ram Mandir Pran Pratishtha: अयोध्या में बनकर तैयार हो रहे भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की तारीख धीरे-धीरे करीब आ रही है. इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के लिए देश भर के चुनिंदा लोगों को निमंत्रण भेजे जा रहे हैं. उन्हीं में से एक निमंत्रण 96 साल की राम भक्त कार सेवक शालिनी दबीर को मिला है.


मुंबई की रहने वाली इस महिला ने 1990 में कार सेवा के लिए घर छोड़ दिया था. अब उन्होंने कार सेवा के समय जिन मुश्किलों का सामना करना पड़ा था उन यादों को साझा किया है.


'दूसरे धर्म के लोग ने मुझे गुस्से में मिठाई खिलाई'
न्यूज़ एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक भावुक होकर वह कहती हैं, ''जब बाबरी ढांचा गिरा तो गुस्से में एक दूसरे धर्म के व्यक्ति ने मुझे मिठाई खिलाई और बोला अब जो आपका था आपको मिल गया. मैं अब उन्हें लड्डू खिलाना चाहूंगी कि मिला ही नहीं मेरे भगवान भी लौटे हैं.'' 1990 में कार सेवा के लिए मुंबई छोड़नेवाली शालिनी रामकृष्ण दबीर को विशेष तौर पर सम्मानित करते हुए अयोध्या से लाए अक्षत देकर राम मंदिर आने का निमंत्रण दिया है.


बाबरी विध्वंस के समय की क्रूरता को याद किया
शालिनी ने बाबरी ढांचा गिरने के समय तत्कालीन सरकार की क्रूरता का भी जिक्र किया. उन्होंने गोलियां, लाठी चलने से लेकर यूपी सरकार की क्रूरता की कहानी बताई. जेल भर जाने से वह स्कूल में बंद थी. फिर पैदल 60 किलोमीटर चलकर अयोध्या पहुंची और बाबरी ढांचा गिरने के बाद उसे पर भगवा ध्वज लहराने की साक्षी बनी.


'स्कूल में रहना पड़ा कैद'
शालिनी दबीर कार सेवा की कहानी बयां करते हुए कहती हैं 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या पहुंचकर बाबरी ढांचे पर भगवा फहराने को उन्होंने अपनी आंखों से देखा है. उत्तर प्रदेश पुलिस ने दादर की महिला कारसेवकों के एक समूह को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें एक स्कूल परिसर में कैद कर दिया.


वह कहती हैं, "स्कूल से कुछ स्थानीय लोगों की मदद से भाग निकले और लगभग 50 किलोमीटर पैदल चलकर 31 अक्टूबर 1990 को कारसेवा में भाग लिया. पुलिस लाठीचार्ज, आंसू गैस बल्कि अपने आसपास चल रही गोलीबारी का भी अनुभव हो रहा था."


'छू कर निकली थी गोली'
शालिनी बताती हैं कि पुलिस की बर्बरता के बावजूद उस समय कोई भी डगमगाया नहीं. शालिनी ने कहा, उनके पास से गोली छूकर निकली थी लेकिन हनुमान जी ने कार सेवकों को ताकत दी थी.


शालिनी बताती हैं कि बहुत कोशिशों के बाद वो एक दीवार नहीं गिर रही थी तब, एक बंदर उस दीवार पर बैठा और सब कुछ धूल-धूल हो गया क्योंकि उसने दीवार पर जोर लगाया था जिससे वो ढह गई थी. शालिनी ने कहा, तब उनकी उम्र 63 वर्ष की थी लेकिन राम लला की जगह छीनी थी यह उन्हें बर्दाश्त नहीं हुए और वो भी अयोध्या चल पड़ी.


गोलियों की तड़तड़ाहट के बीच गा रहे थे भजन
शालिनी कहती हैं कि गोलियां चलीं, लाठी भी चली लेकिन तब भी हम सब मिलकर भजन गा रहे थे. उन्होंने कहा, अब अयोध्या में राम वापस आ रहे हैं. मुझे बहुत खुशी है लेकिन दुख इस बात का है कि पैर काम नहीं करते, चल नहीं पाऊंगी. लेकिन राम आए हैं यह सुनकर वह खुशी से रो देती हैं. अब उम्र जनित समस्या की वजह से शालिनी को कान से भी बहुत सुनाई नहीं देता तो उनके बेटे उन्हें बातें समझाते हैं.


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