रामलला प्राण प्रतिष्ठा: पीएम मोदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखी चिट्ठी, 'एक अयोध्या अपने मन में भी लेकर लौटा हूं'
Ram Lalla Pran Pratishtha: 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. इसको लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी थी.
PM Modi Replies To President Murmu: अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी थी, जिसका जवाब पीएम मोदी ने राष्ट्रपति को दिया. इसकी जानकारी उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर दी.
पीएम मोदी ने कहा, "दो दिन पहले मुझे आदरणीया राष्ट्रपति की एक बहुत ही प्रेरणादायी चिट्ठी मिली थी. मैंने आज अपनी कृतज्ञता चिट्ठी के माध्यम से प्रकट करने का प्रयास किया है."
पीएम मोदी ने क्या लिखा चिट्ठी में?
राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी में पीएम मोदी ने कहा, "अयोध्या धाम में अपने जीवन के सबसे अविस्मरणीय क्षणों का साक्षी बनकर लौटने के बाद, मैं आपको यह पत्र लिख रहा हूं. मैं, एक अयोध्या अपने मन में भी लेकर लौटा हूं. एक ऐसी अयोध्या जो कभी मुझसे दूर नहीं हो सकती."
उन्होंने आगे कहा, "अयोध्या जाने से एक दिन पहले मुझे आपका पत्र मिला था. आपकी शुभकामनाओं और स्नेह का मैं बहुत-बहुत आभारी हूं. आपके पत्र के हर शब्द ने आपके करुणामयी स्वभाव और प्राण-प्रतिष्ठा के आयोजन पर आपकी असीम प्रसन्नता को व्यक्त किया. जिस समय मुझे आपका पत्र मिला था, मैं एक अलग ही भावयात्रा में था. आपके पत्र ने मुझे, मेरे मन की इन भावनाओं को संभालने में, उनसे सामंजस्य बिठाने में अपार सहयोग और संबल दिया."
पीएम मोदी ने लिखा, "मैंने एक तीर्थयात्री के रूप में अयोध्या धाम की यात्रा की. जिस पवित्र भूमि पर आस्था और इतिहास का ऐसा संगम हुआ हो, वहां जाकर मेरा मन अनेक भावनाओं से विह्वल हो गया. ऐसे ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बनना एक सौभाग्य भी है और एक दायित्व भी है."
11 दिन के व्रत-अनुष्ठान का भी जिक्र
व्रेत का जिक्र करते हुए उन्होंने लिखा, आप ने मेरे 11 दिन के व्रत-अनुष्ठान और उससे जुड़े यम-नियमों के विषय में भी चर्चा की थी. हमारा देश ऐसे अनगिनत लोगों का साक्षी रहा है जिन्होंने शताब्दियों तक अनेक संकल्प व्रत किए जिससे कि रामलला पुनः अपने जन्मस्थान पर विराज सकें. सदियों तक चले इन व्रतों की पूर्णाहुति का संवाहक बनना, मेरे लिए बहुत भावुक क्षण था और इसे मैं अपना सौभाग्य मानता हूं.
उन्होंने कहा, 140 करोड़ देशवासियों के साथ रामलला के साक्षात दर्शन, उनके रूप से साक्षात्कार और उनके स्वागत का वो क्षण अप्रतिम था. वो क्षण प्रभु श्रीराम और भारत के लोगों के आशीर्वाद से ही संभव हुआ और मैं इसके लिए सदा कृतज्ञ रहूंगा.
आदिवासी समाज का भी किया जिक्र
पीएम मोदी ने पीएम जनमन योजना का जिक्र करते हुए कहा, जैसा आपने कहा था, हम ना सिर्फ प्रभु श्रीराम को पूजते हैं बल्कि जीवन के हर पहलू में और विशेषकर सामाजिक जीवन में उनसे प्रेरणा लेते हैं. आपने पत्र में 'पीएम जनमन' और जनजातीय समाज में भी अति पिछड़ों के सशक्तिकरण पर इस योजना के प्रभाव की चर्चा की. आदिवासी समाज से जुड़े होने के कारण आपसे ज्यादा बेहतर तरीके से ये कौन समझ सकता है? हमारी संस्कृति ने हमेशा, हमें समाज के सबसे वंचित वर्ग के लिए काम करने की सीख दी है. पीएम जनमन जैसे कई अभियान आज देशवासियों के जीवन में बड़ा बदलाव ला रहे हैं.
'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास'
सबका साथ, सबका विकास नारे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, गरीब कल्याण के इन कार्यों के लिए, गरीबों के सशक्तिकरण के इन अभियानों के लिए प्रभु श्रीराम के विचार हमें निरंतर ऊर्जा देते हैं. ये प्रभु श्रीराम ही तो हैं, जिन्होंने अपने जीवन के हर अध्याय में सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की प्रेरणा दी. इसी मंत्र का आज सर्वत्र परिणाम दिख रहा है. पिछले एक दशक में देश करीब 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में सफल हुआ है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का आभार जताते हुए उन्होंने लिखा, प्रभु श्रीराम के शाश्वत विचार, भारत के गौरवशाली भविष्य का आधार हैं. इन विचारों की शक्ति ही, हम सभी देशवासियों के लिए वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगी. श्रीराम का भव्य मंदिर हमें सफलता और विकास के नव प्रतिमान गढ़ने की प्रेरणा देता रहेगा. आपके प्रेरणादायी शब्दों के लिए पुनः आभार. मुझे विश्वास है कि देश इसी तरह आपके मार्गदर्शन के साथ प्रगति और कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ता रहेगा.