Ramlala Pran Pratishtha: अयोध्या में भव्य राम मंदिर के उद्घाटन से खुद को अलग रखने वाली कांग्रेस पार्टी के रुख की खासी चर्चा है. इस मुद्दे पर जमकर सियासत भी हो रही है. 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर में भगवान रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के उत्सव में शामिल होने के लिए कांग्रेस के शीर्ष नेताओं- पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को भी निमंत्रण गया था लेकिन उन्होंने आने से इनकार दिया.
कांग्रेस ने कहा है कि यह बीजेपी और आरएसएस का कार्यक्रम है और चुनावी लाभ के लिए अर्द्धनिर्मित मंदिर का उद्घाटन किया जा रहा है. काग्रेस के शीर्ष नेताओं की ओर से राम मंदिर के उद्घाटन का न्योता ठुकराए जाने के संबंध में जब राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनको जो जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उसे निभाया, अब आना या न आना, इस पर (कांग्रेस) नेता अपने विवेक से फैसला लेंगे.
क्या कुछ बोले नृपेंद्र मिश्रा?
एबीपी न्यूज के साथ विशेष बातचीत में नृपेंद्र मिश्रा ने कहा, ''हम लोगों का काम था कि एक मानक बनाएं. ट्रस्ट ने एक मानक बनाया कि किस-किस क्षेत्र में किस प्रकार के महानुभावों को हम आमंत्रित करेंगे, क्योंकि एक सीमा थी, सात से आठ हजार की सीमा, उसके अनुसार जो महानुभाव, जिनका राष्ट्रीय महत्व है... बहुत से लोगों ने अचीवमेंट्स किए हैं, नेशनल और इंटरनेशनल लेवल के अचीवमेंट्स किए हैं, तो इन सभी वर्गीकरण के लोगों को आमंत्रित किया गया.''
उन्होंने आगे कहा, ''न्यास ने उसमें से कुछ लोगों को आमंत्रित करने के लिए मुझे भी उस टोली में हिस्सा बनाया कि मैं भी चला जाऊं. तो मैं गया और उनको आमंत्रित किया. अब आना और न आना, ये तो उनका विवेक है, वो निर्णय लेंगे, इससे न्यास का कोई संबंध नहीं है.''
बीजेपी का कांग्रेस पर निशाना
कांग्रेस की ओर से निमंत्रण ठुकराए जाने पर बीजेपी ने उस पर निशाना साधा है. बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने गुरुवार (11 जनवरी) को मीडिया से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति ईर्ष्या, द्वेष और हीन भावना के कारण कांग्रेस देश का विरोध करने की हद तक चली गई है और अब भगवान का भी विरोध कर रही है.