Subramanian Swamy on Narendra Modi and Ram Mandir: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर के उद्घाटन (22 जनवरी, 2024 को) से पहले जहां सियासी दलों के बीच इसके श्रेय को हासिल करने के लिए होड़ मची है. वहीं, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सीनियर नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि रामजन्मभूमि का मामला जब सुप्रीम कोर्ट में अंत के नजदीक था, तब मोदी ने उसमें देरी करने की कोशिश की थी. मंदिर के निर्माण के लिए असल में सुप्रीम कोर्ट और तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) रंजन गोगोई समेत बाकी जजों को शुक्रिया अदा किया जाना चाहिए.   


लंबे समय से मोदी-शाह और बीजेपी की नीतियों के कड़े आलोचक रहे स्वामी ने ये बातें गुरुवार (11 जनवरी, 2024) को सोशल मीडिया के जरिए कहीं. माइक्रो ब्लॉगिंग मंच एक्स (पूर्व में टि्वटर) पर उन्होंने दो सिलसिलेवार पोस्ट्स में बताया, "मोदी ने इस केस में देरी की कोशिश की थी. यह मामला तब टॉप कोर्ट में निपटने के आस-पास था. सरकार ने तब एक याचिका दाखिल की थी, जिसमें अयोध्या की सारी भूमि लौटाने के लिए कहा था. सर्वोच्च अदालत ने तब इसे नजरअंदाज किया था और फैसला दिया था, जिसके लिए उसे शुक्रिया कहना चाहिए. इसके लिए तब के सीजेआई गोगोई और चार अन्य जजों का भी धन्यवाद." 


ये रहे BJP के सीनियर नेता के X पोस्ट्सः


Ram Mandir को लेकर बन चुका है माहौल!


दरअसल, 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम है. रामलला के मंदिर के उद्घाटन से पहले ही उनकी नगरी में श्रद्धालुओं की भीड़ लगने लगी है. न सिर्फ जो लोग अयोध्या जा रहे हैं बल्कि जो पूरे घटनाक्रम को बारीकी से देख रहे हैं, वे भी बहुत हद तक मानते हैं कि मंदिर मोदी के संकल्प, इच्छाशक्ति और प्रयासों की वजह से बन रहा है. 


Narendra Modi के नेतृत्व-छवि से भी है मंदिर का लिंक 


हालांकि, यह भी रोचक बात है कि ऐसे लोगों में से अधिकतर मोदी के प्रशंसक समझे जाते हैं. वैसे, असलियत यह है कि कोर्ट के निर्णय की वजह से इस धर्मस्थल के बनने का रास्ता साफ हुआ है. ऐसे में राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चा हो रही है कि यह महज भगवान राम और उनके मंदिर से जुड़ा मुद्दा नहीं बल्कि मोदी, उनकी छवि और नेतृत्व का भी मामला है.