नई दिल्ली/प्रयागराज: लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर पर जारी सियासी गहमागहमी के बीच एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है. राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में 29 जनवरी यानी कल सुनवाई होने वाली थी. लेकिन पांच जजों वाली संवैधानिक पीठ में एक जज जस्टिस एसए बोबडे के नहीं होने की वजह से सुनवाई टाल दी गई. अगले सुनवाई कब होगी यह तय नहीं है. इस बीच आज से कुंभ में धर्म संसद शुरू हो रहा है. जहां संतों के बीच राम मंदिर पर चर्चा होगी.


सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री द्वारा जारी नोटिस के मुताबिक, ‘‘इस बात का संज्ञान लिया जाए कि जस्टिस एस ए बोबडे के उपलब्ध नहीं होने की वजह से 29 जनवरी, 2019 को चीफ जस्टिस की अदालत में संविधान पीठ के समक्ष होने वाली सुनवाई निरस्त की जाती है. इस पीठ में चीफ जस्टिस, जस्टिस बोबडे, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस ए नजीर शामिल हैं.’’


इससे पहले मूल पीठ में शामिल रहे जस्टिस यू यू ललित ने खुद को मामले की सुनवाई से अलग कर लिया था और 25 जनवरी को पुन: पांच जजों की संविधान पीठ का गठन किया गया था. जब नई पीठ का गठन किया गया तो न्यायमूर्ति एन वी रमण को भी पीठ से अलग रखा गया. इसकी कोई वजह नहीं बताई गयी.


धर्म संसद
इस बार 2 धर्म संसद होनी है, जिसमें पहली धर्म संसद 28, 29 और 30 को होगी, जिसका आयोजन शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की तरफ़ से किया जा रहा है. इस धर्म संसद में स्वरूपानंद सरस्वती, पूरी पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद जी, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के अलावा देश भर के सन्तों को इकट्ठा करने का दावा किया गया है.


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दूसरी धर्म संसद विश्व हिंदू परिषद की तरफ़ से की जा रही है. यह 31 जनवरी और 1 फरवरी को आयोजित कई गई है. वीएचपी की धर्म संसद में वीएचपी के बड़े नेताओं के अलावा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, सीएम योगी आदित्यनाथ और गृह मंत्री राजनाथ सिंह शामिल हो सकते हैं. शंकराचार्य की धर्म संसद का शुभारंभ सुबह 11 बजे होगा. दोनों ही धर्म संसद में राम मंदिर का मामला उठेगा. वीएचपी राम मंदिर पर कानून लाए जाने की मांग करती रही है.


अयोध्या में जमीन विवाद को समझिए
अयोध्या में जमीन विवाद बरसों से चला आ रहा है, अयोध्या विवाद हिंदू मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव का बड़ा मुद्दा रहा है. अयोध्या की विवादित जमीन पर राम मंदिर होने की मान्यता है. मान्यता है कि विवादित जमीन पर ही भगवान राम का जन्म हुआ. हिंदुओं का दावा है कि राम मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई. दावा है कि 1530 में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने मंदिर गिराकर मस्जिद बनवाई थी. 90 के दशक में राम मंदिर के मुद्दे पर देश का राजनीतिक माहौल गर्मा गया था. अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को कार सेवकों ने विवादित ढांचा गिरा दिया था.


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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन हिस्सों में 2.77 एकड़ जमीन बांटी थी. राम मूर्ति वाला पहला हिस्सा राम लला विराजमान को मिला, राम चबूतरा और सीता रसोई वाला दूसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़ा को मिला. जमीन का तीसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का फैसला सुनाया गया. सुप्रीम कोर्ट ने जमीन बांटने के फैसले पर रोक लगाई थी. अयोध्या में विवादित जमीन पर अभी राम लला की मूर्ति विराजमान है.