नई दिल्ली: अयोध्या में आज राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन का कार्यक्रम होने जा रहा है. अयोध्या में हो रहे इस भूमि पूजन के लिए शहर को दुल्हन की तरह सजाया गया है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस कार्यक्रम से जुड़ी सभी तैयारियों पर नजर बनाए हुए हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कनेक्शन राम मंदिर से काफी समय पहले से रहा है. गोरखनाथ मंदिर की तीन पीढ़ियां राम मंदिर आंदोलन से जुड़ी रहीं.


राम मंदिर आंदोलन की बात आदित्यनाथ और उनके गुरू के बिना पूरा नहीं हो सकती है. मंदिर की लड़ाई में कई मौक़ों पर गोरखनाथ मंदिर ने अगुवाई की है. योगी आदित्यनाथ इसी मंदिर के महंत हैं. वे नाथ संप्रदाय के अगुआ माने जाते हैं जिसके अनुयायी देश भर में फैले हुए हैं.


राम जन्म भूमि मामले में जब भी कोई महत्वपूर्ण घटना घटी, गोऱक्ष पीठ किसी न किसी तरह इससे जुड़ा रहा. सबसे पहले बात कर लें रामलला के प्रकट होने की. ये घटना 23 सितंबर 1949 की है. जब कुछ लोगों ने विवादित ढांचे के मुख्य गुंबद के ठीक नीचे रामलला की मूर्ति रख दी. इस दौरान महंत दिग्विजय नाथ कुछ साधु संतों के साथ भजन कीर्तन कर रहे थे.


दिग्विजय नाथ के शिष्य महंत अवैद्यनाथ भी राम मंदिर आंदोलन के अगुवा रहे. अयोध्या में जब मंदिर आंदोलन का ताला खुला तो देश भर में हंगामा मच गया. उन दिनों राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री हुआ करते थे. एक स्थानीय वकील उमेश चंद्र पांडे की अपील पर फ़ैज़ाबाद के जज ने ताला खोलने का आदेश पारित कर दिया था.


मुस्लिम समुदाय ने इसका बहुत विरोध किया. जब राम मंदिर का ताला खुला तो महंत अवैद्यनाथ अपने समर्थकों के साथ मौजूद थे. राम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष रामचंद्र परमहंस के साथ मिल कर उन्होंने मंदिर आंदोलन को आगे बढ़ाया.


उनके निधन के बाद उनके शिष्य योगी आदित्यनाथ ने ये ज़िम्मेदारी संभाल ली. उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी बना कर हज़ारों नौजवानों को इससे जोड़ा. योगी की सेना हिंदू वाहिनी राम मंदिर बनाने की लड़ाई में जुट गई. उग्र हिंदुत्व के प्रतीक योगी ने हर मंच से राम मंदिर के निर्माण का वादा किया था.


आज योगी आदित्यनाथ की मुराद भी पूरी हो रही है. अयोध्या में जिस जगह पर रामलला विराजमान थे, वहीं अब भव्य मंदिर बनने जा रहा है. योगी ने ही अयोध्या में दीवाली मनाना शुरू किया. उनकी सरकार ने ही दुनिया की सबसे ऊंची राम की मूर्ति बनाने का भी फ़ैसला किया है.


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