पूरे राजकीय सम्मान के साथ आज होगा रामविलास पासवान का अंतिम संस्कार, दीघा घाट लाया जाएगा पार्थिव शरीर
पार्थिव शरीर को आज दोपहर 12.30 बजे पटना के निवास स्थान कृष्णा पुरी से जनार्दन घाट (दीघा) लाया जाएगा. इसके बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
पटना: केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का राजकीय सम्मान के साथ आज अंतिम संस्कार किया जाएगा. केंद्रीय कानून एवं विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद पटना में होने वाले अंतिम संस्कार में केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगे. पासवान का पार्थिव शरीर आज दोपहर 12.30 बजे उनके पटना के निवास स्थान कृष्णा पुरी से जनार्दन घाट (दीघा) लाया जाएगा जिसके बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. उन्होंने गुरुवार शाम अंतिम सांस ली थी.
रामविलास पासवान के पार्थिव शरीर को शुक्रवार शाम पटना ले जाया गया, जिसके बाद विधानसभा और पार्टी ऑफिस में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित राज्य के कई नेताओं ने पासवान के पार्थिक शरीर पर पुष्ण अर्पित किए और श्रद्धांजलि दी. एयरपोर्ट पर जब उनका पार्थिक शरीर पहुंचा तो बेटे चिराग पासवान परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मौजूद थे. एयरपोर्ट पर भी नेताओं ने श्रद्धांजलि दी बाद में उनके पार्थिक शरीर को विधानसभा ले जाया गया.
देश के प्रमुख दलित नेताओं में शुमार पासवान 74 वर्ष के थे. एलजेपी के संस्थापक और उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पासवान कई सप्ताह से दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती थे. हाल ही में उनके हृदय की सर्जरी हुई थी.
समाजवादी आंदोलन के स्तंभों में से एक पासवान बाद के दिनों में बिहार के प्रमुख दलित नेता के रूप में उभरे और जल्दी ही राष्ट्रीय राजनीति में अपनी विशेष जगह बना ली. 1990 के दशक में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण से जुड़े मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करवाने में पासवान की भूमिका महत्वपूर्ण रही.
खगड़िया में 1946 में जन्मे पासवान का चयन पुलिस सेवा में हो गया था लेकिन उन्होंने अपने मन की सुनी और राजनीति में चले आए. पहली बार 1969 में वह संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए. वह आठ बार लोकसभा के सदस्य चुने गए और उन्होंने कई बार हाजीपुर संसदीय सीट से सबसे ज्यादा मतों के अंतर से जीतने का रिकॉर्ड अपने नाम किया.
समाज के वंचित तबके से जुड़े लोगों के मुद्दे उठाने में सबसे आगे रहने वाले पासवान जमीनी स्तर के मंझे हुए ऐसे नेता थे, जिनके संबंध सभी राजनीतिक दलों और गठबंधनों के साथ हमेशा मधुर बने रहे. पांच दशक लंबे राजनीतिक करियर में वह हमेशा केन्द्र की सभी सरकारों में शामिल रहे.