एलजेपी नेता चिराग पासवान ने मंगलवार को कहा कि अपने पिता और दलित नेता रामविलास पासवान की पहली बरसी पर 12 सितंबर को पटना में आयोजित होने वाले कार्यक्रम के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित शीर्ष राष्ट्रीय नेताओं को न्योता दिया है. इस कार्यक्रम को राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इसे ऐसे समय आयोजित किया जा रहा है जब चिराग पासवान की उनके चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के साथ पिता की विरासत को लेकर लड़ाई चल रही है.
चिराग पासवान अपने चाचा पारस के आवास पर भी कार्यक्रम का न्योता देने के लिए गए. चिराग पासवान ने उन कयासों को भी खारिज कर दिया कि रामविलास पासवान की मूर्ति लगाकर उनकी पार्टी उनके पिता का दिल्ली में तीन दशक तक निवास रहे आवास को अपने नियंत्रण में रखना चाहती है. उन्होंने जोर देकर कहा कि संसद का सदस्य रहते हुए वह ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे, जिसे अतिक्रमण या कानून का उल्लंघन माना जाए. उन्होंने कहा, ‘‘इस समय सरकार ने मुझे यहां रहने की अनुमति दी है. यह मूर्ति दिवंगत नेता के लिए पार्टी का प्रेम है और जब वैकल्पिक व्यवस्था होगी तो उसे स्थानांतरित कर दिया जाएगा. इस मूर्ति को मेरी ओर से संपत्ति पर अतिक्रमण के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए.’’
जब रेखांकित किया गया कि सरकारी नियम किसी भी आवास को संग्रहालय या स्मारक में तब्दील करने की अनुमति नहीं देता तो चिराग ने कहा कि वह कभी ऐसे किसी कार्य का समर्थन नहीं करेंगे जो इसके खिलाफ जाए. उन्होंने जोर देकर कहा कि पार्टी की योजना देश के हर जिले में उनके पिता की मूर्ति लगाने की है. सूत्रों ने बताया कि शहरी विकास मंत्रालय ने राम विलास पासवान के निधन के बाद आवास को खाली करने के लिए शुरुआती नोटिस भेजा था, लेकिन चिराग पासवान की इस मामले पर सरकार के वरिष्ठ कार्यकारियों से मुलाकात के बाद परिवार को फिलहाल उस आवास में रहने की अनुमति दी गई.
बारह सितंबर के कार्यक्रम पर चिराग ने कहा कि उन्होंने पीएम मोदी और अमित शाह से बात की है और उन्हें न्योता दिया है. वह सोनिया गांधी, राहुल गांधी और रक्षा मंत्री राजनाथ से भी इस संबंध में मिले हैं. उन्होंने बताया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव को भी इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है. बता दें कि नीतीश कुमार और चिराग पासवान के बीच गहरे मतभेद हैं.
उम्मीद है कि पारस भी आठ अक्टूबर को रामविलास पासवान की बरसी पर कार्यक्रम आयोजित कर सकते हैं. रामविलास पासवान का पिछले साल आठ अक्टूबर को ही निधन हुआ था. पारस द्वारा भी शीर्ष राष्ट्रीय नेताओं को आमंत्रित करने की उम्मीद है. चिराग पासवान मंगलवार को अपने परिवार के साथ बिहार के लिए रवाना हुए. वह पांरपरिक पंचांग के आधार पर 12 सितंबर को बरसी का कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं.
राजनीतिक पर्यवेक्षक उत्सुकता से जमुई के सांसद चिराग पासवान के कार्यक्रम में नेताओं की उपस्थिति पर नजर रखेंगे. यह कार्यक्रम ऐसे समय आयोजित होने वाला है, जब चिराग एलजेपी के अपने धड़े के लिए समर्थन जुटाने के इरादे से बिहार में ‘आशीर्वाद यात्रा’ निकाल रहे हैं.
गौरतलब है कि एलजेपी के छह सांसदों में से पांच ने पारस से हाथ मिला लिया है. इस बीच, बीजेपी ने चिराग पासवान के पार्टी पर दावे को नजरअंदाज करते हुए पारस को मोदी सरकार में मंत्री पद दिया है. वहीं, लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव सहित कई विपक्षी नेताओं ने चिराग पासवान से संपर्क किया है. चिराग पासवान ने बीजेपी द्वारा उनके साथ किए गए व्यवहार पर नाखुशी जताई है लेकिन अबतक वह भविष्य के राजनीतिक कदम पर चुप हैं. चिराग पासवान ने कहा कि अब उनकी प्राथमिकता पार्टी को खड़ा करने की है.