नई दिल्ली: प्याज के खुदरा वितरण को बढ़ाने और इसकी कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र ने अब तक 12,000 टन प्याज का आयात किया है. इसे राज्य सरकारों को 49-58 रुपये प्रति किलो की दर से बेचा जा रहा है. उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने मंगलवार को यह जानकारी दी. हालांकि खुदरा प्याज की कीमतें पिछले कुछ सप्ताहों से 100-150 रुपये प्रति किलो के स्तर पर बनी हुई थीं वो अब आयातित प्याज के पहुंचने और ताजा खरीफ की फसल के आगमन के बाद नरम पड़ने लगी हैं. इन कीमतों के मार्च में ही सामान्य स्तर पर आने की उम्मीद है.


रामविलास पासवान ने कहा, ‘‘हमने तुर्की और अफगानिस्तान जैसे देशों से अब तक 12,000 टन प्याज का आयात किया है.’’ उन्होंने कहा कि इस आयातित प्याज में से 1000 टन दिल्ली, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल को पहले ही वितरित किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि महीने के अंत तक, अतिरिक्त 36000 टन आयातित प्याज भारत में आने की उम्मीद है, जो कीमतों पर दबाव को कम करने में मदद करेगा.





आयातित प्याज को खपाने की योजना का ब्यौरा देते हुए उपभोक्ता मामलों के सचिव अविनाश के श्रीवास्तव ने कहा कि राज्य सरकारों ने 33,000 टन प्याज खरीदने के लिए रुचि दिखाई थी, लेकिन बाद में कुछ राज्यों विशेषकर महाराष्ट्र, असम, हरियाणा, कर्नाटक और ओडिशा ने अपनी मांग वापस ले ली. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर 12 राज्यों के साथ मंगलवार को कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए विस्तार से चर्चा की.


श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘चूंकि राज्यों ने कहा है कि आयातित प्याज महंगे हैं, इसलिए इसे 49-58 रुपये प्रति किलोग्राम से बेचने का निर्णय लिया गया जिसमें परिवहन लागत का वहन केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा.’’ अलग-अलग राज्यों को ‘न लाभ, न हानि’ के आधार पर आयातित प्याज को सीधे खुदरा बिक्री के लिए इसे दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आयातित प्याज, दिल्ली में मदर डेयरी के सफल बिक्रीकेन्द्र, केंद्रीय भंडार और नेफेड बिक्रीकेन्द्र पर बेचे जा रहे हैं.


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व्यापार जगत के आंकड़ों के अनुसार, निजी व्यापारियों ने भी अब तक लगभग 55,000 टन प्याज का आयात किया है और यह आपूर्ति बाजार में भी हो रही है. हालांकि आयातित प्याज की आपूर्ति में सुधार किया जा रहा है, लेकिन विदेशों के प्याज का घरेलू प्याज के मुकाबले भिन्न स्वाद होने की वजह से इसे खरीदने वाले कम हैं.


रामविलास पासवान ने कहा, ‘‘स्वाद जरूर एक मुद्दा है. हमारा प्याज आयातित प्याज से भिन्न है. लेकिन हम आपूर्ति में सुधार लाने और कोमतों को नियंत्रण करने की कोशिश कर रहे हैं.’’ सरकार, सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी एमएमटीसी के माध्यम से प्याज आयात कर रही है और निजी आयात को भी सुविधा प्रदान कर रही है. आने वाले महीनों में घरेलू स्तर पर प्याज़ की उपलब्धता के बारे में, श्रीवास्तव ने कहा कि आने वाले दो महीनों तक पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले आवक कम रहेगी.


घरेलू प्याज की आपूर्ति इस साल जनवरी में 9.25 लाख टन होने का अनुमान लगाया गया है, जबकि एक साल पहले इसी महीने में यह आवक 13.50 लाख टन की थी. फरवरी में, आपूर्ति 16.76 लाख टन हो सकती है, जबकि पिछले साल इसी महीने में 22.62 लाख टन की आचक हुई थी. उन्होंने कहा कि मार्च में आपूर्ति 29.46 लाख टन तक अधिक होने का अनुमान है, जबकि साल भर पहले महीने में यह आवक 25.88 लाख टन थी. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, कुछ स्थानों पर खुदरा प्याज की कीमतें अभी भी 100 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक हैं. हालांकि महानगरों में, यह दाम थोड़ा कम हुआ है.


दिल्ली में मंगलवार को प्याज की खुदरा कीमत 19 दिसंबर, 2019 के 118 रुपये प्रति किलोग्राम से घटकर मंगलवार को 70 रुपये प्रति किलोग्राम रह गया, जबकि मुंबई और कोलकाता में दरें 120 रुपये प्रति किलोग्राम से घटकर 80 रुपये किलो तथा समीक्षाधीन अवधि के दौरान चेन्नई में कीमत 80 रुपये से घटकर 55 रुपये प्रति किलोग्राम रह गईं हैं.


मुख्यत: महाराष्ट्र और कर्नाटक में खरीफ और देर से खरीफ उत्पादन में 25 प्रतिशत की कमी की वजह से प्याज की कीमतों में वृद्धि हुई है. सरकार ने प्याज की आपूर्ति बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए निर्यात पर प्रतिबंध लगाने सहित व्यापारियों पर स्टॉक रखने की सीमा तय की है और इसके अलावा कई अन्य उपाय किए हैं.


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