नई दिल्ली: प्याज के भावों में इस समय चल रही तेजी पर केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि ये थोड़े समय की बात है. मंगलवार को उन्होंने कहा कि इसकी कीमतों पर अंकुश रखने को सरकार के हाथ में पर्याप्त मात्रा में प्याज का बफर स्टॉक है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस समय कुछ जगह प्याज के खुदरा भाव 50 से 60 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए हैं. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, प्याज का अधिकतम खुदरा मूल्य 56 रुपये प्रति किलोग्राम , जबकि मध्यम दर 44 रुपये प्रति किलोग्राम है.
मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, महानगरों में चेन्नई में प्याज 34 रुपये प्रति किलोग्राम, मुंबई में 43 रुपये प्रति किलोग्राम, दिल्ली में 44 रुपये प्रति किलोग्राम और कोलकाता में 45 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिक रहा है. देश के कुछ हिस्सों में, गुणवत्ता और स्थानीयता के आधार पर प्याज 50 से 60 रुपये प्रति किलो की ऊंचाई पर चल रहा है.
रामविलास पासवान ने कहा, ‘‘यह स्थिति थोड़े दिन की है. हर साल हम आलू, प्याज या टमाटर- में यह समस्या (मूल्य वृद्धि) आती है. इस साल, प्याज की बारी है. हालांकि, हमारे बफर स्टॉक में पर्याप्त मात्रा में प्याज है.’’ मुख्य रूप से महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे मुख्य प्याज उत्पादक राज्यों में बाढ़ की वजह से इस सब्जी की आपूर्ति में दिक्कत आई. अन्यथा, देश में पर्याप्त प्याज उत्पादन हुआ है और केंद्र सरकार ने किसी भी कमी को दूर करने के लिए 56,000 टन का बफर स्टॉक भी बनाया हुआ है.
मंत्री ने कहा कि प्याज की कीमतों पर अंकुश रखने के लिए सहकारी संस्था नाफेड और एनसीसीएफ के साथ-साथ मदर डेयरी भी दिल्ली के बाजार में 23.90 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से प्याज बेच रही है. वे केंद्रीय बफर स्टॉक से प्याज ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली के साथ-साथ अन्य राज्य सरकारों को बफर स्टॉक से प्याज लेने और नागरिक आपूर्ति विभाग और राशन की दुकानों के माध्यम से अपने यहां इसकी आपूर्ति करने के लिए कहा गया है.
सरकार द्वारा संचालित संस्था एमएमटीसी को प्याज की घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए 2,000 टन प्याज का आयात करने के लिए कहा गया है. पासवान ने कहा कि मूल्य पर अंकुश लगाने के लिए, सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिसमें निर्यात प्रोत्साहन को वापस लेना और न्यूनतम निर्यात मूल्य बढ़ाने जैसे कदम शामिल हैं. सरकार जमाखोरों और कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी कर रही है.
सूत्रों के अनुसार, बाढ़ के कारण खरीफ (गर्मी) प्याज का उत्पादन प्रभावित हुआ है. बाढ़ के कारण फसल का बोया गया रकबा 10 प्रतिशत कम है. इससे उत्पादन प्रभावित होने की संभावना है, जो उत्पादन बाजार में नवंबर से आने की संभावना है. मौजूदा समय में, ताजा प्याज उपलब्ध नहीं हैं. ज्यादातर प्याज पिछले साल की फसल का है.
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