नई दिल्ली: 12 मई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश के अलग अलग भागों में प्रवासी मजदूरों की तकलीफ के मद्देनजर दो महीने मुफ्त अनाज देने का एलान किया था. इनमें ज्यादातर मजदूर वो हैं जिनके पास राशन कार्ड नहीं है. प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर आलोचना झेल रही केंद्र सरकार अब जल्द से जल्द इन मजदूरों तक मुफ्त अनाज पहुंचाना चाहती है.


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से 8 करोड़ प्रवासी मजदूरों को मुफ्त अनाज देने के एलान के बाद खाद्य और उपभोक्ता मंत्रालय हरकत में आ गया है. खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने शनिवार को सभी राज्यों से अपने यहां मौजूद प्रवासी मजदूरों को मुफ्त अनाज बांटने की प्रक्रिया शुरू करने को कहा.


पासवान ने कहा कि फिलहाल मुफ्त राशन के हकदार प्रवासियों के लिए एक अस्थायी पैमाना तैयार किया गया है. इसके मुताबिक खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत जिस राज्य में जितने वैध लाभार्थी मौजूद हैं उनके लिए होने वाले अनाज के आवंटन का 10 प्रतिशत आवंटन प्रवासी मजदूरों को मुफ्त अनाज के वितरण के लिए किया जाए.


पासवान ने कहा कि फिलहाल राज्य सरकारों से इसी आधार पर अनाज का वितरण करने को कहा गया है क्योंकि हर राज्य में प्रवासी मजदूरों की पहचान करने में काफी वक्त लग जाएगा जबकि मजदूरों को तुरन्त राहत की आवश्यकता है. हालांकि राज्यों से इस बारे में ऐसे लाभर्थियों की एक सूची देने के लिए कहा जा रहा है. राम विलास पासवान ने इस बात का भी संकेत दिया कि 8 करोड़ मजदूरों को भविष्य में राशन कार्ड मुहैया करवाने पर विचार हो सकता है.


उपभोक्ता मंत्रालय के अधिकारियों ने जानकारी दी कि शुक्रवार को सभी राज्यों के खाद्य सचिवों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक की गई. बैठक में कई राज्यों ने उनके राज्य में मौजूद प्रवासी मजदूरों को मुफ्त अनाज देने के लिए अलग अलग तरीका अपनाने का दावा किया. कुछ राज्यों ने कहा कि हर जिला मुख्यालय में लंगर के माध्यम से मजदूरों को मुफ्त अनाज दिया जाएगा तो कुछ राज्यों ने बताया कि उनके राज्यों में चल रहे प्रवासी कैम्पों में रह रहे ऐसे मजदूरों को कूपन देने का इंतजाम किया जा रहा है.


12 मई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश के अलग अलग भागों में प्रवासी मजदूरों की तकलीफ के मद्देनजर दो महीने मुफ्त अनाज देने का एलान किया था. इनमें ज्यादातर मजदूर वो हैं जिनके पास राशन कार्ड नहीं है. इसका पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी जो 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा होगा.


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