रामविलास पासवान ने कहा- हाई कोर्ट में अंग्रेज़ी के साथ-साथ स्थानीय भाषा में भी हो कामकाज
हर साल 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 2000 में हुई थी जब यूनेस्को ने 17 नवम्बर 1999 को इसकी स्वीकृति दी.
नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने इस बात पर अफसोस जताया है कि आज़ादी के 72 सालों बाद भी देश के अधिकतर हाई कोर्ट में केवल अंग्रज़ी में ही सुनवाई और बहस हो पाती है. 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर रामविलास पासवान ने मांग किया कि देश की सभी अदालतों में अंग्रेज़ी के साथ साथ वहां की स्थानीय भाषा में सुनवाई और कामकाज हो.
रामविलास पासवान के मुताबिक़ फ़िलहाल देश के केवल 6 हाई कोर्ट में अंग्रज़ी के साथ स्थानीय भाषा में सुनवाई होती है. इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, उत्तराखंड, राजस्थान और मध्यप्रदेश के हाई कोर्ट शामिल हैं.
'भारत हमारी माता तो भाषा हमारी आवाज़'
रामविलास पासवान ने मातृभाषा दिवस के अवसर पर किए गए अपने ट्वीट में देश की स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता जताई. पासवान ने लिखा, "भारत हमारी माता है और भाषा हमारी आवाज़ लेकिन बढ़ते अंग्रेजी के प्रभाव के कारण भारत मां आज गूंगी है. हमारे देश में मातृभाषा की दुर्गति इसलिए है क्योंकि अंग्रेजी यहां पेट की भाषा यानि नौकरी की भाषा बन चुकी है."
1999 में शुरू हुआ अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस
हर साल 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 2000 में हुई थी जब यूनेस्को ने 17 नवम्बर 1999 को इसकी स्वीकृति दी. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य विश्व में भाषाई और सांस्कृतिक विविधता के अलावा बहुभाषिता को बढ़ावा देना है. इसी सिलसिले में यूनेस्को ने 2008 को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा वर्ष घोषित किया था.
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