पांच प्रधानमंत्रियों के साथ कैबिनेट मंत्री रह चुके थे रामविलास पासवान, आज पटना ले जाया जाएगा पार्थिव शरीर
रामविलास पासवान ऐसे नेता थे जो पांच प्रधानमंत्रियों की कैबिनेट में मंत्री रह चुके थे.
एबीपी। केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान का गुरुवार को 74 वर्ष की आयु में निधन हो गया. काफ़ी लम्बे समय से वे बीमारी से जूझ रहे थे. गुरुवार करीब 8:30 बजे उनके बेटे चिराग पासवान ने अपने ट्विटर अकाउंट से ये जानकारी साझा की. जिससे उनके परिजनों पर शुभचिंतकों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. दरअसल राम विलास पासवान कई दिन से दिल्ली के ही फोर्टिस अस्पताल में भर्ती थे. जहां उनका इलाज चल रहा था. चिराग़ पासवान ने अपने पिता को याद करते हुए अपने बचपन की तस्वीर उनके साथ ट्वीट की और लिखा कि , 'पापा....अब आप इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं.'
राम विलास पासवान कि इस दुनिया से चले जाने कि सुचना के बाद उनके सभी समर्थक अस्पताल और उनके घर पहुंचने लगे. उनके पार्थिव शरीर को अस्पताल से ला कर घर पर अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा. जिसके बाद पटना ले जाया जाएगा. जहां उनके पैतृक स्थान पर उनका अंतिम ससंकार होगा.
देर रात तक नेता उनके आवास पर पहुंचे. दिल्ली के साांसद हंस राज हंस परिवार को हिम्मत देने सबसे पहले अस्पताल पहुंचे. बाद में उनके घर भी आए. हंस राज हंस ने नम आंखों से राम विलास पासवान को याद करते हुए कहा, "राम विलास पासवान का जाना ऐसा है, जैसे पहाड़ गिर गया हो". आगे उन्हें याद करते हुए कहतें हैं "वो ग़रीबों के मसीहा थे. ऎसे लोग कहां पैदा होतें हैं, बहुत तकलीफ हो रही है."
देर रात उनके परिवार से शोक व्यक्त करने के लिए 12 जनपत अश्वनी चौबे पहुंचे, राम विलास पासवान को याद करते हुए कहा कि राम विलास पासवान, "मेरे भाई जैसे थे सभी कार्यक्रमों में हमारे घर के सम्मिलित होते थे. वह काफ़ी सरल सभाव के नेता थे ऐसा कोई नेता नहीं होगा. आज 10 बजे पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन को रखा जाएगा जिसके बाद उन्हें पटना ले जाया जाएगा अंतिम संस्कार उनके पैतृक गाँव में होगा."
पांच प्रधानमंत्रियों की कैबिनेट में शामिल राजनीति के धुरंधर रहे राम विलास पासवान पहली बार 1969 में एक आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य के रूप में बिहार विधानसभा पहुंचें थे. उनको मज़दूरों का शुभचिंतक भी माना जाता था. शायद यही वजह कि जब वो इस दुनिया को अलविदा कह गए तब ना केवल उनके कार्यकर्ताओं बल्कि उन सभी की आंखों में आंसू आ गए, जिन्होंने कभी इस सरल भाव के नेता से मुलाक़ात की. पार्टी कार्यकर्ताओं ने 'राम विलास पासवान अमर रहें', के नारे भी उनके घर के बाहर लगाए.
उनका वर्चस्व बिहार कि राजनीति में लगभग 5 दशकों तक छाया रहा. राम विलास पासवान राजनीति के हर रंग से वाकिफ थे वो बदलती राजनितिक हवाओं को समझ कर उसी के हिसाब से फैसला लिया करते थे. शायद इस ही वजह से उनका नाम मौसम वैज्ञानिक पड़ गया. उल्लेखनीय है कि वे ऐसे नेता थे जो कि पांच प्रधानमंत्रियों की कैबिनेट में शामिल रहे. उनके चले जाने से भारत कि राजनीति को एक बड़ा नुकसान पहुंचा है. उन्हें हमेशा एक सरल भाव का आम वर्ग के नेता के रूप में याद किया जाएगा.
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